गुरुवार, 11 सितंबर 2008

व्योमेश की कविताये: मिलन

बैठ चंद्र किरणों के रथ पर

सपनो में वह आई होगी

अपने आँचल के छोरों से

शीतल चवंर झलाया होगा

मृगनयनी आँखों में अश्रु की

दो बुँदे भर आई होगी

इतने दिन का छोह छिटक कर

मन भी बस भर आया होगा

सोचो तुम अपने अनुभव से

मन की मानस बिन्दु सुधा में

चंद्र चकोर कथा के जैसे

मिलन बड़ा सुखदाई होगा.