शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

व्योमवार्ता /समाजवाद की नई परिभाषा को समझती आज की जनता

व्योमवार्ता /समाजवाद की नई परिभाषा को समझती आज की जनता : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 20 अगस्त 2018

              एक स्थानीय कॉलेज में अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर ने अपने एक बयान में कहा – “उसने पहले कभी किसी छात्र को फेल नहीं किया, पर हाल ही में उसने एक पूरी की पूरी क्लास को फेल कर दिया है l”
क्योंकि उस क्लास ने दृढ़ता पूर्वक यह कहा था कि “समाजवाद सफल होगा और न कोई गरीब होगा और न कोई धनी होगा” सबको सामान करने वाला एक महान सिद्धांत !
तब प्रोफेसर ने कहा – अच्छा ठीक है ! आओ हम क्लास में समाजवाद के अनुरूप एक प्रयोग करते हैं  “सफलता पाने वाले सभी छात्रों के विभिन्न ग्रेड का औसत निकाला जाएगा और सबको वही एक ग्रेड दी जायेगी ”
पहली परीक्षा के बाद, सभी ग्रेडों का औसत निकाला गया और प्रत्येक छात्र को B ग्रेड प्राप्त हुआl
जिन छात्रों ने कठिन परिश्रम किया था वे परेशान हो गए और जिन्होनें कम ही पढ़ाई की थी वे खुश हुए l
दूसरी परीक्षा के लिए कम पढ़ने वाले छात्रों ने पहले से भी और कम पढ़ाई की और जिहोनें कठिन परिश्रम किया था उन्होंने यह तय किया कि वे भी मुफ्त की ग्रेड प्राप्त करेंगे और उन्होंने भी कम पढ़ाई की l
दूसरी परीक्षा की ग्रेड D थी l
इसलिए कोई खुश नहीं था l
जब तीसरी परीक्षा हुई तो ग्रेड F हो गई l
जैसे-जैसे परीक्षाएँ आगे बढ़ने लगीं स्कोर कभी ऊपर नहीं उठा, बल्कि आपसी कलह, आरोप-प्रत्यारोप, गाली-गलौज और एक-दूसरे से नाराजगी के परिणाम स्वरूप कोई भी नहीं पढ़ता था क्योंकि कोई भी छात्र अंपने परिश्रम से दूसरे को लाभ नहीं पहुंचाना चाहता था l अंत में सभी आश्चर्यजनक रूप से फेल हो गए और प्रोफेसर ने उन्हें बताया कि इसी तरह “समाजवाद” भी अंततोगत्वा फेल हो जाएगा क्योंकि ईनाम जब बहुत बड़ा होता है तो सफल होने के लिए किया जाने वाला उद्यम भी बहुत बड़ा होगा l परन्तु जब सरकार सारे अवार्ड छीन लेगी तो कोई भी न तो सफल होना चाहेगा और न ही सफल होने की कोशिश करेगा l
निम्नलिखित पाँच सर्वश्रेष्ठ उक्तियाँ इस प्रयोग पर लागू होती हैं l
1. आप समृद्ध व्यक्ति को उसकी समृद्धि से बेदखल करके गरीब को समृद्ध बनाने का क़ानून नहीं बना सकते l
2. जो व्यक्ति बिना कार्य किए कुछ प्राप्त करता है, अवश्य ही परिश्रम करने वाले किसी अन्य व्यक्ति के ईनाम को छीन कर उसे दिया जाता है l
3. सरकार तब तक किसी को कोई वस्तु नहीं दे सकती जब तक वह उस वस्तु को किसी अन्य से छीन न ले l
4. आप सम्पदा को बाँट कर उसकी वृद्धि नहीं कर सकते l
5. जब किसी राष्ट्र की आधी आबादी यह समझ लेती है कि उसे कोई काम नहीं करना है, क्योंकि बाकी आधी आबादी उसकी देख-भाल जो कर रही है और बाकी आधी आबादी यह सोच कर कुछ अच्छा कार्य नहीं कर रही कि उसके कर्म का फल किसी दूसरे को मिल रहा है – तो वहीँ उस राष्ट्र के अंत की शुरुआत हो जाती है।
(बनारस, 20अगस्त 2018, सोमवार)
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मंगलवार, 21 अगस्त 2018

व्योमवार्ता/ जीवन के अर्द्घवृत्त पर...... : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 9मई 2018, सोमवार

जीवन में अर्द्धवृत्त पर
खड़ा पुरूष ,कैसा होता है
थोड़ी सी सफेदी कनपटियों के  पास,
खुल रहा हो जैसे आसमां बारिश के बाद,
जिम्मेदारियों के बोझ से झुकते हुए कंधे,
जिंदगी की भट्टी में खुद को गलाता हुआ,
अनुभव की पूंजी हाथ में लिए,
परिवार को वो सब देने की जद्दोजहद में,
जो उसे नहीं मिल पाया था,
बस बहे जा रहा है समय की धारा में,
बीवी और प्यारे से बच्चों में
पूरा दिन दुनिया से लड़ कर थका हारा,
रात को घर आता है, सुकून की तलाश में,
लेकिन क्या मिल पाता है सुकून उसे ?
दरवाजे पर ही तैयार हैं बच्चे,
पापा से ये मंगाया था, वो मंगाया था,
नहीं लाए तो क्यों नहीं लाए,
लाए तो ये क्यों लाए वो क्यों नहीं लाए,
अब वो क्या कहे बच्चों से,
कि जेब में पैसे थोड़े कम थे,
कभी प्यार से, कभी डांट कर,
समझा देता है उनको,
एक बूंद आंसू की जमी रह जाती है
आँख के कोने में,
लेकिन दिखती नहीं बच्चों को,
उस दिन दिखेगी उन्हें,
जब वो खुद, बन जाएंगे माँ बाप
अपने बच्चों के,
खाने की थाली में दो रोटी के साथ,
परोस दी हैं पत्नी ने दस चिंताएं,
कभी, यह कह कर
तुम्हीं नें बच्चों को सर चढ़ा रखा है,
कुछ कहते ही नहीं,
कभी, शिकायती स्वर
हर वक्त डांटते ही रहते हो बच्चों को,
कभी प्यार से बात भी कर लिया करो,
कभी, उलाहना
लड़की सयानी हो रही है,
तुम्हें तो कुछ दिखाई ही नहीं देता,
तो कभी जिम्मेदारी का एहसास,
लड़का हाथ से निकला जा रहा है,
तुम्हें तो कोई फिक्र ही नहीं है,
पड़ोसियों के झगड़े, मुहल्ले की बातें,
शिकवे शिकायतें दुनिया भर की,
सबको पानी के घूंट के साथ,
गले के नीचे उतार लेता है,
जिसने एक बार हलाहल पान किया,
वो सदियों नीलकंठ बन पूजा गया,
यहाँ रोज़ थोड़ा थोड़ा विष पीना पड़ता है,
जिंदा रहने की चाह में,
फिर लेटते ही बिस्तर पर,
मर जाता है एक रात के लिए,
क्योंकि,
क्योंकि उसे
सुबह फिर जिंदा होना है,
काम पर जाना है,
कमा कर लाना है,
ताकि घर चल सके,
....ताकि घर चल सके
.....ताकि घर चल सके।।।।
(बनारस, 9मई 2018, बुधवार)
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