शादी मे (buffer) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में
आता था जैसे....
👉 पहले जगह रोकना !
👉 बिना फटे पत्तल दोनों का सिलेक्शन!
👉 उतारे हुयें चप्पल जूतें
पर आधा ध्यान रखना...!
👉 फिर पत्तल पे ग्लास रखकर उड़ने से रोकना!
👉 नमक रखने वाले को जगह बताना
यहां रख नमक
.
सब्जी देने वाले को गाइड करना
हिला के दे
या तरी तरी देना!
.
👉 उँगलियों के इशारे से 2 लड्डू और गुलाब जामुन,
काजू कतली लेना
.
👉 पूडी छाँट छाँट के
और
गरम गरम लेना !.
👉 पीछे वाली पंगत में झांक के देखना क्या क्या आ
गया !
अपने इधर और क्या बाकी है।
जो बाकी है उसके लिए आवाज लगाना
.
👉 पास वाले रिश्तेदार के पत्तल में जबरदस्ती पूडी
🍪 रखवाना !
.
👉 रायते वाले को दूर से आता देखकर फटाफट रायते
का दोना पीना ।
.
👉 पहले वाली पंगत कितनी देर में उठेगी। उसके
हिसाब से बैठने की पोजीसन बनाना।
.
👉 और आखिर में पानी वाले को खोजना।
🍴 🍴 🍴 🍴 🍴 🍴 😜
#अपनी संस्कृति, अपनी विरासत
(बनारस, 22 दिसंबर 2016)
अवढरदानी महादेव शंकर की राजधानी काशी मे पला बढ़ा और जीवन यापन कर रहा हूँ. कबीर का फक्कडपन और बनारस की मस्ती जीवन का हिस्सा है, पता नही उसके बिना मैं हूँ भी या नही. राजर्षि उदय प्रताप के बगीचे यू पी कालेज से निकल कर महामना के कर्मस्थली काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे खेलते कूदते कुछ डिग्रीयॉ पा गये, नौकरी के लिये रियाज किया पर नौकरी नही मयस्सर थी. बनारस छोड़ नही सकते थे तो अपनी मर्जी के मालिक वकील बन बैठे.
गुरुवार, 22 दिसंबर 2016
जाने कहॉ गये वे दिन : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 22दिसम्बर 2016, गुरूवार
सदस्यता लें
संदेश (Atom)