व्योमवार्ता /व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 27फरवरी 2021, शुक्रवार
हमारे मित्र एक नामालूम से बहुत बड़ी पार्टी के मण्डल महासचिव पद पर है। खुद को बौद्ध धर्मावलंबी मानते हैं पर मानने के अतिरिक्त कुछ नही करते। विधायकी के चुनाव में तीन अंकों में वोट पा चुके हैं। उन्हें इस बात का भ्रम बराबर बना रहता है कि देश के लिए बनने वाली नीतियां मूलतः उनकी ही हैं जिन्हें सरकारी मुलाजिम चुरा कर सत्ता वाली सरकारी पार्टी के नाम लागू कर देते हैं। उम्दा ज्ञान रखते हैं पर उस ज्ञान का स्त्रोत इस लिए नही बताते कि कहीं उनके नीतियों की तरह लोग उनके ज्ञान स्त्रोत को भी न चुरा लिया जाए। किसी तथ्य के प्रामाणिकता के संबंध में पूछने पर यह कह कर बरी होने की कोशिश करते हैं कि प्रमाण वह नही बतायेगें क्योंकि उससे मौलिकता चोरी हो सकती है,आप को चाहिए तो आप ढूंढिए। तीन विरोधाभासी शब्दों के संयुक्त नाम राशि वाले ये सज्जन पुरुष बावजूद इसके हमें इस लिए प्रिय हैं क्योंकि वे हमारे मित्र हैं।
कल उन्होंने एक नई जानकारी यह दिया कि सिद्धार्थ गौतम बुद्ध रामायण काल के पहले थे क्योंकि रामायण में बुद्ध कई बार लिखा हुआ मिलता है।
अब मैं उन्हें क्या समझाऊं क्योंकि वे अपने पार्टी में बड़े विद्वान माने जाते हैं।
(बनारस, 27फरवरी 2021, शुक्रवार)
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