शनिवार, 1 मई 2021

#कड़ुवा_सच....

व्योमवार्ता/व्योमेश चित्रवंश की डायरी,1मई2021

#कड़ुवा_सच....

           विदेशी मीडिया जब साल भर पहले भारत के स्ट्रेटेजी की तारीफ कर रही थी तब हम चैतन्य नही हुये आज जब विदेशी मीडिया हमारे देश की आलोचना कर रही है तो हम अपने सरकार पर उंगली उठा रहे हैं।
इस कोरोना के दूसरी लहर के लिये सिर्फ व सिर्फ हम जाहिल गवाँर अपने मनमर्जी से चलने वाले लोग जिम्मेदार है। सरकार साल भर से मास्क और दो गज की दूरी के लिये चिल्ला रही थी तो हमे मोबाईल पर आ रहे संदेश बेमानी लगते थे. हम बिना मास्क भीड़भाड़ मे रहने मे अपनी शेखी समझते थे।
अब हम आलोचनात्मक मिजाज मे खड़े है पर खुद के सीने पर हाथ रख यह पूछने का साहस नही कर पा रहे हैं कि जनसंख्या से लेकर वृक्षारोपण तक अस्पताल से लेकर अनुशासन तक हम ने कितनी बार एक अच्छे भारतीय तो दूर साधारण नागरिक का फर्ज पूरा किया है?
(बनारस, 1मई2021 शनिवार)
http://chitravansh.blogspot.com
#Covid_19
#व्योमवार्ता

शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

हम न मरब मरिहै संसारा.../व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 30 अप्रैल 2021/व्योमवार्ता

व्योमवार्ता/ #हम_न_मरब_मरिहैं_संसारा.....

          इस बीमारी से मचे हाहाकार के बीच गांवों में पेड़ों से महुआ टपकने लगा है। सारे पेड़ नयी पत्तियों से लद कर बताने लगे हैं कि प्रकृति ने उनके लिये नया वस्त्राभूषण भेज दिया है।
भोर में मादक हवा वैसे बह रही है जैसे हर वर्ष बहती है। भोर मे आँख खुलते ही कानों मे चीड़ियों के ची ची ची ची के #सुप्रभाती संदेश के आगे व्हाट्सएप्प फेसबुक के #फर्जी_गुडमार्निंग फीके और औचित्यहीन लगते हैं। सुबह सुबह गेंहू काटती महिला मजदूर जब हँसुआ खिंचती हैं तो एकसाथ तीन ध्वनियां निकलती हैं। हँसुआ की सरसराहट और बालियों की खनखनाहट के बीच यदि काटने वाली के हाथ की चूड़ियाँ भी खनक उठें तो मान लीजिये, यही प्रकृति का महा-रास है।
      सम्पूर्ण संसार में पसरी इस महामारी से मनुष्य को छोड़ कर और कोई भी जीव प्रभावित नहीं है। क्यों? इस क्यों का उत्तर बहुत कठोर है, पर...
     आम के पेड़ों पर टिकोरे जवाँ हो रहे हैं और उनको देख कर मचल उठने वाला बालमन भी! जिन बच्चों का बचपन अंग्रेजी स्कूलों में गिरवी रख दिया गया है, उन्हें छोड़ दें तो सचमुच के बच्चे अब भी बगीचों में सुतुही (ब्लेड) और नमक ले कर मंडराने लगे हैं। और घर के बड़े यह सोच कर खुश हैं कि गेंहू की फसल इस साल शानदार हुई है। तो क्या आपको नहीं लगता कि ये  नववर्ष भी सचमुच बहुत सुंदर है?
      आशुतोष भगवान शिव के ही इस अविमुक्त काशी से सदियों पूर्व #बनारस के अलमस्त फक्कड़ #कबीर ने कहा था, "हम न मरब मरिहैं संसारा..." । बस अपने अंदर के उसी अविमुक्तेश्वर कल्याणकारी शिव और #फक्कड़ कबीर को जगाने की जरूरत है।
अखबार  सोशल मीडिया और समाचार चैनल बताते हैं कि रोज सैकड़ों लोग मर रहे हैं। मैं रोज बस यह खोज कर पढ़ता हूँ कि प्रतिदिन लाखों लोग इस बीमारी को हरा कर ठीक हो रहे हैं। 97%सकारात्मकता पर 3%नकारात्मकता भारी नहीं पड़नी चाहिये। मैं प्रतिदिन यही प्रार्थना करता हूँ कि हम सब उन लाखों ठीक होने वालों में रहें, सैकड़ों में नहीं...
     महामारी का भय प्रबल है, पर इस डर के आगे जीत है!! हम इससे बचने का हर प्रयत्न करेंगे, पर डरेंगे नहीं। मास्क, सेनेटाइजर, दूरी, वैक्सीन, जो भी उपाय सम्भव है उसे अपनाया जाय, पर भय नहीं...
ऐसी जाने कितनी आपदाओं को अनेकों बार अपने साहस के बल पर पैरों तले रौंदा है हमने। अगर एक दिन चले जाना ही सृष्टि का नियम है तो यह महामारी भी जाएगी। सम्भव है कि कल  कुछ लोग न रहें, पर जो रहेंगे वे देखेंगे कि कुछ खास नहीं बदला...
संसार का सौंदर्य जब भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के धराधाम छोड़ने से नहीं घटा तो हम क्या चीज हैं भाई...
      जीव अपनी जिजीविषा के बल पर दीर्घायु होते हैं। जो लड़ेगा वह जीतेगा...
आइए मिलकर लड़ते हैं इस सुनिश्चित जीत के लिए परमपिता परमेश्वर से इस कामना के साथ कि अब और नहीं भगवन, अब तो आंखो के रीत भी सूख चले हैं।
          सौ साल पहले हमारे बुजुर्गों ने बिना किसी दवा और वैक्सीन के ही प्लेग को हराया था, फिर हम तो तब की तुलना में आज बहुत शक्तिशाली हैं। और हम तो बनारस वाले हैं जो मसान मे होली खेलते हुये भी अलख जगाते है #हम_न_मरब_मरिहैं_संसारा......
          आईये, इस प्रकृति के सौन्दर्य और स्वरूप का आनंद लेते हुये भगवान ने जो हमारे लिये दे रखा है उसी मे संतुष्ट हो कर सुखपूर्वक जीवन का आनंद लें। पहले आई ढेरों महामारियों की तरह #कोरोना भी जैसे आया है वैसे ही चला जायेगा।
#व्योमवार्ता
#कोविड_19
(बनारस, 30अप्रैल 2021,शुक्रवार)
http://chitravansh.blogspot.com