रविवार, 2 अप्रैल 2017

नवसंवत्सर 2074 विक्रमी, " साधारण" चैत्र शुकल नवरात्रि : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 01 अप्रैल 2017, शनिवार

नववर्ष का नव आवाहन
नव संवत्सर नव विहान
पेड़ो पर नवांकुरित होती नव कोंपले
नव ऊष्मा की पछुआ नव बयार
संक्राति को बेध कर नवआदित्य की नव ऊर्जा
आम्रवृक्षो पर ईठलाती नव मंजरियॉ
दौने की पत्तियों से ऊभरती नवसुगंध
नवउत्साह के साथ अलसाया मन
नव संकल्पों का अल्हड़पन
नवरात्रि व्रत से शान्त संकल्पित मन
ब्रह्मबेला मे पक्षियों का नव गुंजारपन
शात्विक विचार, शॉत चित्त
कुछ तो है जो देता है नवचिंतन
भारत के नववर्ष, साधारण नवसंवत्सर में.
      (बनारस, 01 अप्रैल, 2017, शनिवार)
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