शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2025

जिनको नही पता है उनके लिये /भाई निरंजन सिंह के फेसबुक वाल से...

जिनको नहीं पता उनके लिए
जवाहरलाल नेहरू की अदूरदर्शी और मूर्खताओं की सज़ा, जो हम आज तक भुगत रहे हैं।
१. कोको आइसलैंड: 1950 में नेहरू ने भारत का 'कोको द्वीप समूह' (Google Map location 14.100000, 93.365000) बर्मा को गिफ्ट दे दिया। यह द्वीप समूह कोलकाता से 900 KM दूर समंदर में है। बाद में बर्मा ने यह द्वीप समूह चीन को दे दिया, जहाँ से आज चीन भारत पर नजर रखता है।
२. काबू वैली मणिपुर: नेहरू ने 13 जनवरी 1954 को भारत के मणिपुर प्रांत की काबू वैली मित्रता के तौर पर बर्मा को दी। काबू वैली का क्षेत्रफल लगभह 11,000 वर्ग किमी है और कहते हैं कि यह कश्मीर से भी अधिक खूबसरत है।
आज बर्मा ने काबू वैली का कुछ हिस्सा चीन को दे रखा है। चीन यहां से भी भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देता है।
३. भारत नेपाल विलय: 1952 में नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन विक्रम शाह ने नेपाल के भारत में विलय का प्रस्ताव नेहरू के सामने रखा।
लेकिन नेहरू ने ये कहकर उनकी बात टाल दी कि इस विलय से दोनों देशों को फायदे की बजाय नुकसान ज्यादा होगा। यही नहीं, इससे नेपाल का पर्यटन भी खत्म हो जाएगा। 
जबकि असल वजह ये थी की नेपाल जम्मू कश्मीर की तरह विशेष अधिकार के तहत अपनी हिन्दू राष्ट्र की पहचान को बनाये रखना चहता था जो की नेहरू को मंजूर नही थी
४. सुरक्षा परिषद स्थायी सीट: नेहरू ने 1953 में अमेरिका की उस पेशकश को ठुकरा दिया था, जिसमें भारत को सुरक्षा परिषद (United Nations) में स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने को कहा गया था। नेहरू ने इसकी जगह चीन को सुरक्षा परिषद में शामिल करने की सलाह दे डाली। चीन आज पाकिस्तान का हम दर्द बना हुआ है। वह पाक को बचाने के लिए भारत के कई प्रस्तावों को सुरक्षा परिषद में नामंजूर कर चुका है। 
हाल ही उसने आतंकी मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के भारतीत प्रस्ताव को कई बार वीटो किया है।
५. जवाहरलाल नेहरू और लेडी मांउटबेटन: लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला ने अपनी किताब में लिखा है कि नेहरू और लेडी माउन्टबेटन के बीच अंतरंग संबंध थे। लॉर्ड माउंटबेटन भी दोनों को अकेला छोड़ देते थे। लोग मानते हैं कि ऐसा कर लॉर्ड माउंटबेटन ने जवाहरलाल नेहरू से अनेक राजनैतिक निर्णय करवाए थे जिनमें कश्मीर में युद्ध विराम व सयुंक्त राष्ट्र के हस्ताक्षेप का निर्णय भी शामिल है।
६. पंचशील समझौता: नेहरू चीन से दोस्ती के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक थे। 1954 में उन्होंने चीन के साथ पंचशील समझौता किया और तिब्बत को चीन के हिस्से के रूप में मान्यता दे दी। 1962 में इसी चीन ने भारत पर हमला किया और चीन की सेना इसी तिब्बत से भारत की सीमा में दाखिल हुई।
८. 1962 भारत चीन युद्ध: चीनी सेना ने 1962 में भारत को हराया था। हार के कारणों को जानने के लिए भारत सरकार ने ले. जनरल हेंडरसन और कमान्डेंट ब्रिगेडियर भगत के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी।
दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में हार के लिए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था।
रिपोर्ट के अनुसार चीनी सेना जब अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम तक अंदर घुस आई थी, तब भी नेहरू ने हिंदी चीनी भाई भाई का नारा लगाते हुए भारतीय सेना को चीन के खिलाफ एक्शन लेने से रोके रखा। परिणाम स्वरूप हमारे कश्मीर का लगभग 14000 वर्ग किमी भाग पर चीन ने कब्जा कर लिया।
इसमें कैलाश पर्वत, मानसरोवर और अन्य तीर्थ स्थान आते हैं।
भारत का सही इतिहास जानना आपका हक़ है।
(6फरवरी2025)
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देश के ऊपर सरस्वती का अभिशाप लादने का भयंकर काण्ड / भाई निरंजन सिंह के फेसबुक वाल से......

2005 में वाजपेयी सरकार के जाते ही देश के ऊपर सरस्वती का अभिशाप लादने का भयंकर कांड हुआ था। मूल में जो कारण थे:-
1. अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने यह चिंता जताई थी कि भारतीय छात्र ज्ञान-विज्ञान क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, इन्हें रोकना बहुत जरूरी है।
2. सोनिया गाँधी के राज में ईसाई मिशनरियों द्वारा मतांतरण का वातावरण बनाना।
3. छात्रों को भारतीय मूल्यों, स्वावलम्बन, परोपकार इत्यादि से विमुख करना, इसका साधन बनाया स्कूल में मध्याह्न भोजन। इससे छात्र भिखमंगे हो गए, अध्यापक भ्रष्ट हो गए। 
अभिभावकों के लिए मनरेगा जैसी मुफ्तखोरी की योजना लायी गयी।
इसके लिए सोनिया गाँधी की एक सलाहकार समिति बनाई गई जिसे कैबिनेट से भी अधिक पॉवर था, उसके सभी सदस्य नक्सली, राष्ट्र विरोधी, गैर हिन्दू और सनातन संस्कृति से अतिशय घृणा करने वाले थे। इन्हीं में से एक हर्षमंदर भी था।
शिक्षा मंत्री अर्जुन सिंह के इशारे पर हर्षमन्दर के नेतृत्व में एक कुख्यात वामपंथी मंडली ने NCERT के माध्यम से निम्न कार्य किये:-
1. सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का पुनर्लेखन किया गया (#पाठ्यक्रम_का_दूषण) जिसमें कक्षा 1 से अंग्रेजी की अनिवार्यता, गौरव प्रसंग वाले सभी लेख, तथ्य, पाठ, चित्र हटाकर हीनत्व संचार की सामग्रियाँ सम्मिलित की गई। सती, महिला अत्याचार, बालकों के यौन सुख का अधिकार, ब्राह्मणों द्वारा सभी सुविधाएं मुफ्त में लेना, हिन्दी साहित्य में उर्दू शायरों को स्थान, कला क्षेत्र में विदेशी और मुस्लिम विद्वानों की उपलब्धियाँ बढ़चढ़कर उभारी गई।
2. इंग्लिश मीडियम छोड़कर अन्य सभी पुस्तकें बहुत जटिल भाषा में लिखी गई, मानविकी विषय में इतने जटिल #तकनीकी_शब्द प्रतिस्थापित किये गए कि स्वयं शिक्षक भी उन्हें समझ नहीं पाएं। बड़े कम्पीटिशन एग्जाम में इनसे रिलेटेड ही प्रश्न पूछे गए जिससे छात्र इनमें डूब जाएं। उन दिनों यह जुमला स्थापित हुआ कि प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए NCERT का पाठ्यक्रम बहुत ही उपयोगी है।
3. विज्ञान और गणित में सरल से कठिन क्रम को फॉलो नहीं किया गया। अभ्यास और प्रश्नावलियाँ कम कर दिए गए। वैदिक गणित हटा दी गई। वे बातें शामिल की गई जिनका कोई उपयोग नहीं था और छात्रों पर अनावश्यक बोझ डाला गया। औसत, प्रतिशत, अनुपात, समय दूरी के पाठ बिल्कुल हटा दिए या सांकेतिक विलय किया गया। उद्देश्य यही था कि दसवीं करने के बावजूद छात्र व्यवहार में कुछ भी न सीखें।
पुस्तकों के नाम ऐसे रखे गए कि कोई इश्यू न बने जैसे इतिहास की पुस्तक का नाम "भारतीय इतिहास के कुछ अध्याय" इसमें चुन चुनकर बाते रखी गई या निकाली गई।
हिन्दी कक्षा 12 विषय में 20 पाठों में जो सामग्री है उसकी लिस्ट देखिये:-
2 मुस्लिम चित्रकारों की आत्मकथा/कथा
2 उर्दू कविताएं
2 अनुवाद लेख
2 अनुवाद कविताएं
1 अनुदित कहानी
शेष में हिन्दी के वे लेखक जो जेएनयू ब्रांड हैं।
4. उत्तीर्ण होना बहुत सरल कर दिया गया, लगभग मुफ्त में। ग्रेडिंग पद्धति और "छात्रों पर दबाव" के बहाने नाम लिखाओ, पास हो जाओ शैली का अनुसरण किया गया।
5. आरम्भ से ही ऐसे तत्व उभारे गये जिसमें यह साबित हो कि देश ईसाइयों का है, हिन्दू तो कोई है ही नहीं, सब महिला, दलित, आदिवासी या मुस्लिम हैं। 
इतिहास के महत्त्वपूर्ण पाठ हटाकर बहुत छिछली बाते हाइलाइट की गई। 
मोपला नरसंहार के गुंडों को स्वतंत्रता सेनानी बताया गया। 
हिन्दू लड़की मुस्लिम लड़के को पत्र लिख रही है। हिन्दू परिवार अपनी कन्याओं का शोषण कर रहे हैं। गरीब ने दारू पिया क्योंकि उसकी भी इज्जत है।
6. दलितवाद और फेमिनिज्म को उभारा गया। इसी का परिणाम था, मात्र 10 वर्ष बाद लगभग सभी दलित जातियाँ प्रचंड हिन्दू विरोधी हो गईं और ईसाईकरण के लिए मार्ग खुल गया। आज भी यही चल रहा है।
(7 फरवरी 2025)
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रविवार, 2 फ़रवरी 2025

हां, मैने कुंभ देखा है......

हां मैने कुंभ देखा है
गंगा यमुना के संगम पर 
जहां सरस्वती भी है ज्ञान, भक्ति, श्रद्धा के 
अदृश्य अंतर में, 
आपस में संगम कर मिलते हुये 
उस प्रयागराज में
हां मैंने कुंभ देखा है 

रवि को मकर राशि में
माघ के ठण्ड में प्रवेश करते हुये 
सभी ऋषि महर्षि मनीषी के संग
आमजन को कल्प वास करते हुये
आस्था के ज्वार भाटा को
उल्टे नदी तट पर विचरते हुये
हां मैंने कुंभ देखा है 

समस्त आनंद मंगल मूल वाली 
दु:ख हरणी सुखदायिनी गंगा को
अकालमृत्यु और यमदंड को त्रासती
समस्त प्रदूषण के गरल पीती 
यमुना को
अपनी गरिमा को गंभीरता देती
अदृश्य सरस्वती को 
त्रिवेणी तट पर,

हां मैने कुंभ देखा है
काशी से प्रयागराज के पथ पर 
चलते जन सैलाब के श्रद्धा में
अयोध्या-चित्रकूट के मध्य
प्रयाग राज के रज को माथे पर चढ़ाते
अंदावा से फाफामऊ तक 
नैनी से अरैल नागवासुकी तक 
रसूलाबाद से किला के द्वार तक
इहलोक में एक दुबकी लगा 
परलोक के शुभ की इच्छा लिये
श्रद्धा से नत 
जन जन के विश्वास में

हां मैंने कुम्भ देखा है 
महामंडलेश्वरो के आखाड़े में 
जगद्गुरूओं के धर्मपताकाओं में
घाटों पर खुले आसमां के नीचे 
ठंड शीत को जीतते श्रद्वालुओं में
खोया पाया केन्द्रों मे 
और कुंभ के माटी मे रमे लोगों मे

हां मैंने कुम्भ देखा है 
कुंभ स्नान की अनुभूति को
श्रद्धा की अपार चाह में 
स्नान के पूर्व पश्चात 
थकते पैरों के बावजूद 
पुण्य कमाने की खुशी मे
बीस-तीस किलोमीटर के न थकने वाले 
नंगे पाँवों से यात्रा में 

हां मैंने कुंभ देखा है 

हे मन तुम फिर आना
अगले अर्द्धकुंभ, कुंभ
और महाकुंभ में
इस श्रद्धा के महातट पर
अंतर की शांति को खोजने 
प्रयागराज आकर
प्रकृति मां गंगा यमुना को यह बताने 
कि आज भी प्रकृति हमारी आस्था है
उस आस्था का दर्शन कर 
हम अपने अंतर के सरस्वती को 
पा सकते हैं
जो ईश्वर रूपी परमात्मा का स्वरूप है।
(२फरवरी२०२५ वसंत पंचमी)
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