शनिवार, 31 दिसंबर 2016

मेरी बिटिया द्वारा नये साल पर रचित कविता : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 31 दिसबंर 2016

Aaj ek aur saal beet jaega
Kuch khatti or
Kuch meethi yaaden de
Naye dost mile
Kuch purane dur bhi ho gye
Naye anubhav diye
Kuch ache
Kuch kharab
Zindagi aage badhi
Kuch nayi yaaden batori
Kuch purani dushmani
Dosti me badli
Lakho sapne dekhe
Kuch pure hue
Kuch adhure hi reh gye
Ek umeed h naye saal me
Honge rubaru nayi khushiyon se
Sapne honge pure
Kamyabi kadam chumegi
Apne aur kareeb aenge
Kuch naye dost zindagi me jagah me jagah banaege
Isi umeed k sath iss saal ko vida krte h
Aur bahen phaila naye saal ka swagat krte h....
- Vidisha Chitravansh, 31 December 2016

यह झटपट कविता मेरी बिटिया कनु ने अपनी सहेलियों के लिये लिख कर अभी अभी फेसबुक पर पोस्ट किया, मुझे अच्छी लगी तो अपनी डायरी मे कापी कर पोस्ट कर रहा हूँ.

अखबारों मे पढ़ के अच्छा लगता है : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 31 दिसंबर 2016, शनिवार

वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिये

आज कमिश्नर साहब ने फिर मेरे शहर के बेपटरी यातायात समस्या हेतु रणनीति बनाई पर वीडीए व नगरनिगम के नीयत को देखते हुये हम मुतमइन है.
देखें कि भोजूबीर लगायत गोदौलिया , आशापुर लगायत चौक के बड़े रसूखदार लोगों द्वारा किया अतिक्रमण शायद हट जाये या वरूणा की तरह बड़़े लोगो के असर से सड़क ही न सिकुढ़ जाये.
(बनारस, 31दिसंबर 2016, शनिवार)
http:chitravansh.blogspot.com

गुरुवार, 29 दिसंबर 2016

नववर्ष 2017

बदलते वक्त के संग शुभकामना संदेश: व्योमेश चित्रवंश की डायरी,29 दिसंबर,2016,गुरूवार

बदलते वक्त के संग शुभकामना संदेश

अब नही रहता इंतजार
नये साल पर डाकिये के आने का
बार बार नही उठती है ऑखे
टेबुल पर पड़े हैप्पी न्यू ईयर कार्डों पर
नही रहती होड़ औरों से अच्छा कार्ड चुनने की
कोहरे व ठण्ड भरे दिनों मे कई कई दुकानों पर

क्योंकि अब मिल जाते है शुभकामना संदेश
मोबाईल, टेलीफोन पर 'हैप्पी न्यू ईयर' के तीन शब्दों मे
बारह बजते ही रात के आनन फानन में
वाट्सऐप्प, फेसबुक, एसएमएस व सोशल मीडिया में

पर मुँह से बोले उन तीन शाब्दों मे वह अपनापन
नही महसूस कर पाता मेरा मन
जो साल भर तक रिश्तो को गरमाये रखता था
नव वर्ष के के शुभकामना वाले रंगीन कार्डों में
साल के पहले दिन से आखिरी रात तक
मन को छूती यादों मे
डाकिये के कदमों मे, किवाड़ पर पड़ी दस्तकों में

हम बदल रहे हैं, हमारा स्वभाव बदल रहा है
घड़ी की सूईयों व तारीखों के साथ साल बदल रहा है .

बदलते वक्त के दौर मे आपके संग बिताये यादो के क्रम में वर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाये,
                                                -व्योमेश चित्रवंश,
                          बनारस, 29दिसंबर 2016, गुरूवार

बुधवार, 28 दिसंबर 2016

ये तो मनोरोग का मामला है हूजूर : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 27 दिसंबर 2016, मंगलवार

ये *मनोरोग का मामला है हूजूर..!*

- उसके चेहरे से नफरत...
- उसके PM बनने की बात से नफरत..
- उसके PM बन जाने से नफरत,
- उसके कपड़ों से नफरत...
- उसके सुधार कार्यक्रमों से नफरत..
- उसके विदेश दौरों से नफरत...
- उसके भाषण से नफरत...

- उसकी माँ से नफरत..
- उसने चाय बेचीं तो नफरत..
-उसने देश के लिए घरबार बीबी को त्याग किया तो नफरत..

- संसद में बैठे तो नफरत..
- जनता से बोले तो नफरत..
-रेडियो टीवी पर बोले तो नफरत..
-न बोले तो नफरत..
- भाषण की भावुकता से नफरत..
- भाषण की दृढ़ताओं से नफरत..
-वो रोये तो नफरत..
-वो हँसे तो नफरत..

- पाकिस्तान से वार्ता पर नफरत...
- पाकिस्तान से सख्ती पर नफरत,
-surgicle स्ट्राइक पर नफरत..
-सैनिको को मारने वाले आतंकवादी मारे तो नफरत..

- काले धन पर अभियान न चलने पर नफरत...
- अभियान चले तो नफरत...
-15लाख की भीख नहीं मिले तो नफरत..
-भ्रष्टाचारी की पुंगी बजाई तो नफरत...

इस बात से भी नफरत कि कोई आदमी उसके पक्ष में पोस्ट कैसे लिख सकता है..??
और-
तो मोदी भक्त का संबोधन...

मोदी का विरोध करने वाले यह नहीं बताते कि वह *समर्थन किसका करते हैं..?*
जिसको जनता ने चुन के लाया उसका या अल्प मत का?
कामचोरों का या जो 18 घंटे काम करता है उसका..

माफ़ कीजियेगा हुज़ूर
ये मनोरोग का मामला है।
(बनारस, 27 दिसंबर 2016, बुधवार)
http://chitravansh.blogspot.com
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