बुधवार, 28 दिसंबर 2016

ये तो मनोरोग का मामला है हूजूर : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 27 दिसंबर 2016, मंगलवार

ये *मनोरोग का मामला है हूजूर..!*

- उसके चेहरे से नफरत...
- उसके PM बनने की बात से नफरत..
- उसके PM बन जाने से नफरत,
- उसके कपड़ों से नफरत...
- उसके सुधार कार्यक्रमों से नफरत..
- उसके विदेश दौरों से नफरत...
- उसके भाषण से नफरत...

- उसकी माँ से नफरत..
- उसने चाय बेचीं तो नफरत..
-उसने देश के लिए घरबार बीबी को त्याग किया तो नफरत..

- संसद में बैठे तो नफरत..
- जनता से बोले तो नफरत..
-रेडियो टीवी पर बोले तो नफरत..
-न बोले तो नफरत..
- भाषण की भावुकता से नफरत..
- भाषण की दृढ़ताओं से नफरत..
-वो रोये तो नफरत..
-वो हँसे तो नफरत..

- पाकिस्तान से वार्ता पर नफरत...
- पाकिस्तान से सख्ती पर नफरत,
-surgicle स्ट्राइक पर नफरत..
-सैनिको को मारने वाले आतंकवादी मारे तो नफरत..

- काले धन पर अभियान न चलने पर नफरत...
- अभियान चले तो नफरत...
-15लाख की भीख नहीं मिले तो नफरत..
-भ्रष्टाचारी की पुंगी बजाई तो नफरत...

इस बात से भी नफरत कि कोई आदमी उसके पक्ष में पोस्ट कैसे लिख सकता है..??
और-
तो मोदी भक्त का संबोधन...

मोदी का विरोध करने वाले यह नहीं बताते कि वह *समर्थन किसका करते हैं..?*
जिसको जनता ने चुन के लाया उसका या अल्प मत का?
कामचोरों का या जो 18 घंटे काम करता है उसका..

माफ़ कीजियेगा हुज़ूर
ये मनोरोग का मामला है।
(बनारस, 27 दिसंबर 2016, बुधवार)
http://chitravansh.blogspot.com
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