गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

जाने कहॉ गये वे दिन : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 22दिसम्बर 2016, गुरूवार

शादी मे (buffer) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में
आता था जैसे.... 
👉 पहले जगह रोकना ! 
👉 बिना फटे पत्तल दोनों का सिलेक्शन!
👉 उतारे हुयें चप्पल जूतें
पर आधा ध्यान रखना...!
👉 फिर पत्तल पे ग्लास रखकर उड़ने से रोकना!
👉 नमक रखने वाले को जगह बताना
यहां रख नमक
.
सब्जी देने वाले को गाइड करना
हिला के दे
या तरी तरी देना!
.
👉 उँगलियों के इशारे से 2 लड्डू और गुलाब जामुन,
काजू कतली लेना
.
👉 पूडी छाँट छाँट के
और
गरम गरम लेना !.
👉 पीछे वाली पंगत में झांक के देखना क्या क्या आ
गया !
अपने इधर और क्या बाकी है।
जो बाकी है उसके लिए आवाज लगाना
.
👉 पास वाले रिश्तेदार के पत्तल में जबरदस्ती पूडी
🍪 रखवाना !
.
👉 रायते वाले को दूर से आता देखकर फटाफट रायते
का दोना पीना ।
.
👉 पहले वाली पंगत कितनी देर में उठेगी। उसके
हिसाब से बैठने की पोजीसन बनाना।
.
👉 और आखिर में पानी वाले को खोजना।
🍴 🍴 🍴 🍴 🍴 🍴 😜
#अपनी संस्कृति, अपनी विरासत
(बनारस, 22 दिसंबर 2016)

कोई टिप्पणी नहीं: