शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

वाराणसी पुलिस स्वयं के साथ हुए जालसाजी और फर्जीगिरी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर पा रही


आदरणीय मिश्र जी ,
सर्वप्रथम आप को वाराणसी पुलिस को  आम जन तक पहुचाने के लिए बधाई,
आप के कार्यों से हमें विश्वास है कि आने वाले दिनों में हमें  वाराणसी पुलिस का सकारात्मक सहयोग मिलेगा .
परन्तु आप यदि पुलिस कार्यालय की कार्य प्रणाली और व्यवस्था पर भी ध्यान ध्यान दें तो परिणाम शीघ्र और आशातीत मिलेंगे .

मैंने आप के संज्ञान में आप के कार्यालय की एक कार्यप्रणाली का उदहारण देता हूँ .

                                       मै वाराणसी जनपद न्यायालय में अधिवक्ता हूँ  और शिवपुर थाने के एक मुकदमे राज्य प्रति साहबलाल और क्रास केस रामनाथ प्रति सुरेन्द्र में रामनाथ का अधिवक्ता हूँ, इस मुक़दमे के सम्बन्ध सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव द्वारा मुझे कई बार मुकदमे से हटने की धमकी दी गयी, बाद में उक्त सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने थाना शिवपुर के दरोगा उदय प्रताप सिंह  के फर्जी हस्ताक्षर कर के एवं थाना शिवपुर की नकली मुहर बनवा के एक कम्पूटर  टाइप आख्या  माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में प्रकीर्ण आपराधिक प्रार्थना पत्र संख्या 14766 सन 2012 सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव प्रति उत्तर प्रदेश सरकार अंतर्गत धारा 482 द०प्र०स०  में शपथ पत्र पर सलाग्नक संख्या 9 पृष्ठ संख्या 56 -59  के रूप में दाखिल किया , पुनः वही  फर्जी व् जाली आख्या आपके कार्यालय में शिकायती पत्र संख्या सी एस टी /आर टी आर 876/12  दिनांक 6 अक्तूबर 2012 में सलग्नक रूप में प्रस्तुत किया गया . मुझे इस तथ्य की आधिकारिक जानकारी होने पर  मैंने जनसूचना के माध्यम से उक्त आख्या के सम्बन्ध में आपके कार्यालय से सूचना माँगा, जिसके सम्बन्ध में मुझे सहायक जन सुचना अधिकारी / क्षेत्राधिकारी  कैंट द्वारा पत्रांक ज०सू०अ०298/2012 दिनांक28अगस्त 2012 के माध्यम से दरोगा उदय प्रताप सिंह के हस्तलिखित आख्या  एवं हस्ताक्षर की प्रति उपलब्ध करते हुए यह जानकारी दी गयी की कथित  कम्पूटर  टाइप आख्या न तो शिवपुर  थाना से सम्बंधित है न ही  उदय प्रताप सिंह द्वारा निर्मित है .
         उक्त जन सूचना प्राप्त होने के पश्चात मैंने सेन्ट्रल बार एसोसियेशन के माध्यम से  समस्त तथ्यों सहित आपके कार्यालय को CBA/21/2012 दिनांक6-11-2012को  प्राप्ति संख्या 4 दिनांक 06-11-2012पर उपलब्ध करते हुए ये प्रार्थना किया की इस तरह के फर्जी आचरण एवं पुलिस की मुहर  व् हस्ताक्षर का गलत व् जाली प्रयोग करने के  लिए दोषी सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही किया  जाय .
        श्रीमान  पुलिस महा निरीक्षक वाराणसी महोदय ने भी मेरे प्रार्थना पत्र पर  कार्यवाही करते हुए जनसूचना  वी जेड - ज०सू०अ०-114/2012/8814 दिनांक 17 नवम्बर 2012 के माध्यम  से मुझे सूचित किया है की मेरे प्रार्थना पत्र पर वरिष्ठ पुलिस  अधीक्षक  वाराणसी को पत्र संख्या वी जेड - शि ० प्र ० -वाराणसी 1191-1247/2012दिनांकित 03-11-2012 के माध्यम से क्रमांक 1246पर जाँच एवं कार्यवाही हेतु आदेशित किया गया है .
 परन्तु दुर्भाग्यतः आपके कार्यालय द्वारा समस्त अभिलेख एवं प्रमाण उपस्थित होने के बावजूद  किन परिस्थितिवश  इस तरह के फर्जीगिरी और जालसाजी के आरोपी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की जा रही है , मेरे समझ से परे है. 
और ऐसे में ये सवाल उठाना स्वाभाविक है की जब वाराणसी  पुलिस स्वयं के साथ हुए जालसाजी और फर्जीगिरी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर पा रही  है तो हम  आम नागरिक कैसे उस से अपने  विरूद्ध होने वाले जालसाजी और धोके की शिकायत कर न्याय की उम्मीद कर  सकेंगे ?