शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2025

देश के ऊपर सरस्वती का अभिशाप लादने का भयंकर काण्ड / भाई निरंजन सिंह के फेसबुक वाल से......

2005 में वाजपेयी सरकार के जाते ही देश के ऊपर सरस्वती का अभिशाप लादने का भयंकर कांड हुआ था। मूल में जो कारण थे:-
1. अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने यह चिंता जताई थी कि भारतीय छात्र ज्ञान-विज्ञान क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, इन्हें रोकना बहुत जरूरी है।
2. सोनिया गाँधी के राज में ईसाई मिशनरियों द्वारा मतांतरण का वातावरण बनाना।
3. छात्रों को भारतीय मूल्यों, स्वावलम्बन, परोपकार इत्यादि से विमुख करना, इसका साधन बनाया स्कूल में मध्याह्न भोजन। इससे छात्र भिखमंगे हो गए, अध्यापक भ्रष्ट हो गए। 
अभिभावकों के लिए मनरेगा जैसी मुफ्तखोरी की योजना लायी गयी।
इसके लिए सोनिया गाँधी की एक सलाहकार समिति बनाई गई जिसे कैबिनेट से भी अधिक पॉवर था, उसके सभी सदस्य नक्सली, राष्ट्र विरोधी, गैर हिन्दू और सनातन संस्कृति से अतिशय घृणा करने वाले थे। इन्हीं में से एक हर्षमंदर भी था।
शिक्षा मंत्री अर्जुन सिंह के इशारे पर हर्षमन्दर के नेतृत्व में एक कुख्यात वामपंथी मंडली ने NCERT के माध्यम से निम्न कार्य किये:-
1. सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का पुनर्लेखन किया गया (#पाठ्यक्रम_का_दूषण) जिसमें कक्षा 1 से अंग्रेजी की अनिवार्यता, गौरव प्रसंग वाले सभी लेख, तथ्य, पाठ, चित्र हटाकर हीनत्व संचार की सामग्रियाँ सम्मिलित की गई। सती, महिला अत्याचार, बालकों के यौन सुख का अधिकार, ब्राह्मणों द्वारा सभी सुविधाएं मुफ्त में लेना, हिन्दी साहित्य में उर्दू शायरों को स्थान, कला क्षेत्र में विदेशी और मुस्लिम विद्वानों की उपलब्धियाँ बढ़चढ़कर उभारी गई।
2. इंग्लिश मीडियम छोड़कर अन्य सभी पुस्तकें बहुत जटिल भाषा में लिखी गई, मानविकी विषय में इतने जटिल #तकनीकी_शब्द प्रतिस्थापित किये गए कि स्वयं शिक्षक भी उन्हें समझ नहीं पाएं। बड़े कम्पीटिशन एग्जाम में इनसे रिलेटेड ही प्रश्न पूछे गए जिससे छात्र इनमें डूब जाएं। उन दिनों यह जुमला स्थापित हुआ कि प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए NCERT का पाठ्यक्रम बहुत ही उपयोगी है।
3. विज्ञान और गणित में सरल से कठिन क्रम को फॉलो नहीं किया गया। अभ्यास और प्रश्नावलियाँ कम कर दिए गए। वैदिक गणित हटा दी गई। वे बातें शामिल की गई जिनका कोई उपयोग नहीं था और छात्रों पर अनावश्यक बोझ डाला गया। औसत, प्रतिशत, अनुपात, समय दूरी के पाठ बिल्कुल हटा दिए या सांकेतिक विलय किया गया। उद्देश्य यही था कि दसवीं करने के बावजूद छात्र व्यवहार में कुछ भी न सीखें।
पुस्तकों के नाम ऐसे रखे गए कि कोई इश्यू न बने जैसे इतिहास की पुस्तक का नाम "भारतीय इतिहास के कुछ अध्याय" इसमें चुन चुनकर बाते रखी गई या निकाली गई।
हिन्दी कक्षा 12 विषय में 20 पाठों में जो सामग्री है उसकी लिस्ट देखिये:-
2 मुस्लिम चित्रकारों की आत्मकथा/कथा
2 उर्दू कविताएं
2 अनुवाद लेख
2 अनुवाद कविताएं
1 अनुदित कहानी
शेष में हिन्दी के वे लेखक जो जेएनयू ब्रांड हैं।
4. उत्तीर्ण होना बहुत सरल कर दिया गया, लगभग मुफ्त में। ग्रेडिंग पद्धति और "छात्रों पर दबाव" के बहाने नाम लिखाओ, पास हो जाओ शैली का अनुसरण किया गया।
5. आरम्भ से ही ऐसे तत्व उभारे गये जिसमें यह साबित हो कि देश ईसाइयों का है, हिन्दू तो कोई है ही नहीं, सब महिला, दलित, आदिवासी या मुस्लिम हैं। 
इतिहास के महत्त्वपूर्ण पाठ हटाकर बहुत छिछली बाते हाइलाइट की गई। 
मोपला नरसंहार के गुंडों को स्वतंत्रता सेनानी बताया गया। 
हिन्दू लड़की मुस्लिम लड़के को पत्र लिख रही है। हिन्दू परिवार अपनी कन्याओं का शोषण कर रहे हैं। गरीब ने दारू पिया क्योंकि उसकी भी इज्जत है।
6. दलितवाद और फेमिनिज्म को उभारा गया। इसी का परिणाम था, मात्र 10 वर्ष बाद लगभग सभी दलित जातियाँ प्रचंड हिन्दू विरोधी हो गईं और ईसाईकरण के लिए मार्ग खुल गया। आज भी यही चल रहा है।
(7 फरवरी 2025)
http://chitravansh.blogspot.com

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