मंगलवार, 9 सितंबर 2008

व्योमेश की कविताये: और एक शाम / 02.01.2006

........ और एक शाम
ढल गई, बीती रात,
गया साल, सूरज निकला ,
सुबह-सुबह, नया-नया,
पन्खुरियो पर ओस लिए,
कुछ फुल खिले है,
कलरव करती चिडियों में ,
उल्लास भरा है।
अपना मन भी करता है
उड़ जाने को ,
उत्साहित है नया नया ,
कुछ कर जाने को।
पaयेंगे निश्चित ही ,
हम अपनी मंजिल,
आने वाले नए वर्ष
नई सुबह में.

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