आज मेरे संग फ़िर आ बैठी,
तेरी स्निग्ध , सलोनी यादें,
मन को हौले से छू जाती ,
फ़िर बन कर मिट जाती यादें।
रुक जाओ ओ जाती यादों ,
इतनी निष्ठुर विदा न लो तुम,
आने वाले सुखद क्षणों में,
फ़िर आने की बात करो तुम.
तेरी स्निग्ध , सलोनी यादें,
मन को हौले से छू जाती ,
फ़िर बन कर मिट जाती यादें।
रुक जाओ ओ जाती यादों ,
इतनी निष्ठुर विदा न लो तुम,
आने वाले सुखद क्षणों में,
फ़िर आने की बात करो तुम.
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