गुरुवार, 11 सितंबर 2008

व्योमेश की कवितायें / नया सूरज 02-011998

सुधियों के विस्तृत कोने में
पीछे छूती कितनी यादें
बीते वर्षों के दिन कितने
कितनी खट्टी मीठी यादें
कल एक नया सूरज आएगा
लायेगा वह नव प्रकाश
नव आशाएं, नव विश्वास
नए वर्ष की खुशियाँ थामे.

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