आज रिमझिम बारिस की सुबह चित्रांश गोपाल दास नीरज जी के नाम
आँसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा,
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा, मेरा नाम लिया जाएगा।
मान-पत्र मैं नहीं लिख सका, राजभवन के सम्मानों का,
मैं तो आशिक़ रहा जन्म से, सुंदरता के दीवानों का,
लेकिन था मालूम नहीं ये, केवल इस ग़लती के कारण,
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा।
खिलने को तैयार नहीं थी, तुलसी भी जिनके आँगन में,
मैंने भर-भर दिए सितारे, उनके मटमैले दामन में,
पीड़ा के संग रास रचाया, आँख भरी तो झूम के गाया,
जैसे मैं जी लिया किसी से,क्या इस तरह जिया जाएगा।
काजल और कटाक्षों पर तो, रीझ रही थी दुनिया सारी,
मैंने किंतु बरसने वाली, आँखों की आरती उतारी,
रंग उड़ गए सब सतरंगी, तार-तार हर साँस हो गई,
फटा हुआ यह कुर्ता अब तो, ज़्यादा नहीं सिया जाएगा।
जब भी कोई सपना टूटा, मेरी आँख वहाँ बरसी है,
तड़पा हूँ मैं जब भी कोई, मछली पानी को तरसी है,
गीत दर्द का पहला बेटा, दुख है उसका खेल-नखिलौना,
कविता तब मीरा होगी जब,हँसकर ज़हर पिया जाएगा।
--डॉ० गोपाल दास नीरज
http://chitravansh.blogspot.com
20 जुलाई 2020
(बिष साथ बिष बिष😢)
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