व्योमवार्ता/कोविड 19 के खौफ से लाकडाऊन का सकारात्मक पक्ष । व्योमेश चित्रवंश की डायरी,2४ मार्च २०२०, मंगलवार
अपनी मनपसंद दो किताबो को कल देर रात दुबारा पढ कर समाप्त किया। डेल कार्नेगी की किताब पिछली सदी मे 1993 मे खरीद कर पढ़ने के बाद आलमारी में रखी शोभायमान बन गई थी, हालॉकि उसके सिद्धान्त आज भी मेरे व्यवहार मे है। जबकि स्यालकोट सागा 2016 मे आते ही खरीद कर दो दिन तक लगातार पढ़ते हुये मिले रोमांच भरे एहसास के बाद कई लोगों को पढ़वाने के बाद रख दिया था।
जब सब कुछ लाकडाऊन है ऐसे मे खुद को व्यस्त रहने का मेरे लिये एकमात्र तरीका किताबें पढ़ना ही है। आज बड़े भाई मित्र राजीवअस्थाना Rajeeva Kumar Asthana वकील साहब ने के एम मुंशी की भगवान परशुराम और अशोक के बैंकर की दशाराजम भेजवाया है। उम्मीद है कि दो दिन की टाईम की खुराकी इससे पूरी हो जायेगी। और कल से नवरात्रि का व्रत प्रारंभ हो जायेगा तो सोशल मीडिया से कट कर थोड़ा और समय मिलने पर यह खुराकी बढ़ भी सकती है।
कोरोना को भगाना है, कहीं नही जाना है।
घर मे रहना है, किताबें पढ़ना है।😊😊
(बनारस, 24मार्च2020, मंगलवार, 8.00बजे प्रात:)
#किताबें मेरी दोस्त
http://chitravansh.blogspot.in
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