गुरुवार, 26 मार्च 2020

व्योमवार्ता/ नवरात्रि का दूसरा दिन और दशराजन

व्योमवार्ता/ नवरात्रि का दूसरा दिन और दशराजन : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 26मार्च 2020 गुरूवार

                       नवरात्रि के दूसरे दिन व कोरोनावाईरस के लाकडाऊन के तीसरे दिन  घर मे पड़े पड़े हमने अशोक के. बैंकर की लिखी किताब “दशराजन” पढ़ा। इस किताब ने मुझे उतना प्रभावित नही किया,हॉलाकि रोचक लेखन,कहानी और पात्र.अशोक के. बैंकर ने बहुत ही ख़ूबसूरती से इस पूरी कहानी को पेश किया है. इस कहानी की सबसे बड़ी खासियत है कि ये हमारे प्राचीन इतिहास का अंश है,ये कहानी ऋगवेद से ली गयी है.
      ये कहानी है ३४०० ई. पू. की,जहां एक कबीले के राजा ने अपनी प्रजा और कबीले की रक्षा के लिए अपनी छोटी सी सेना के साथ दस राजाओं और उनकी विशाल सेना का सामना किया था. उस वक़्त कबीले के मुखिया सुदास के पास कोई बाहरी मदद नहीं थी बल्कि उसे एक योजनाबद्ध तरीके से घेरा गया था.अपने पांच नदियों वाले कबीले की रक्षा के लिए सुदास ने हर संभव रणनीति का प्रयोग किया और अपने कबीले की रक्षा की. ये पांच नदियों वाला कबीला आज पंजाब के नाम से जाना जाता है.

केवल एक दिन में सभी आक्रमणकारियों के अंत के साथ ख़त्म हुए इस युद्ध को अशोक के. बैंकर ने बखूबी उतारा है.अघोषित युद्ध,एक साथ आक्रमण और सुदास की रणनीति,उसके सहायकों का साथ,गुरु का साथ से लेकर युद्ध की एक-एक घटना का इतना अच्छा वर्णन है कि आपके सामने पूरा चित्र उतर आता है.नायक सुदास अपने कबीले के हर इंसान यहाँ तक की पशु से भी प्रेम करता है,अपमान की स्थिति में भी संयम बनाये रखता है..शायद यही कारण हो सकता है कि खुद को विशाल शत्रु सेना से घिरा हुआ पाने के बाद भी वो समर्पण की बजाय सामना करने का निर्णय लेता है.
      ललस संभवतः प्राच्य इतिहास के बारे मे ज्यादा जानकारी न होने व रोचक अनुवाद न होने के कारण कथानक थोड़ा  धीमा व ऊबाऊ लगी। इतिहास मे कल्पना को शामिल करते हुये आजकल पुरा संस्कृति व इतिहास पर जो उपन्यास लेखन किया जा रहा है उनके लेखकों मे  अशोक के बैंकर का प्रमुख स्थान है उन्होंने प्रयास भी किया है कि ऐतिहासिक उपन्यासों की भॉति संवाद वर्णन और विवरणात्मक संबंध से वह ऐतिहासिक कालखण्ड व पात्र पाठक के मन मानस मे सजीव हो सके। संभवतः बहुत से पाठकों के लिये लेखक का यह प्रयास अद्वितीय व अद्भुत रहा हो और उनको बांधने मे सक्षम रहा हो । हमारे भारत का इतिहास न जाने ऐसी कितनी कही और कितनी अनकही कहानियों को समेटे खड़ा है, जो हमारे लिये ढेर सारी कल्पनाये , मिथक,  व संबंधों के तालमेल का मिश्रण लिये लेखन का बढ़िया मसाला व गारा चूना बन सकता है। दशराजन इसी तालमेल का सुंदर उदाहरण कहा जा सकता है। जो समय बिताने के लिये उपयोगी माना जा सकता है।
        बहरहाल, एक बार पुन: धन्यवाद मित्र राजीव अष्ठाना Rajeeva Kumar Asthana को, इस लाकडाऊन के वर्तमान कालखण्ड मे सोशल डिस्टेंशिंग आईसोलेशन के तीसरे दिन के लिये अपने लाईब्रेरी से पुस्तक भेंजने के लिये।
(बनारस,२६मार्च २०२०, गुरूवार)
http://chitravansh.blogspot.in
#व्योमवार्ता
#किताबें मेरी दोस्त
#कोरोना लाकडाऊन 2020

कोई टिप्पणी नहीं: