गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

संवेदनहीनता या सियासत: व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 14 अप्रैल 2016गुरूवार

14 अप्रैल 2016,गुरूवार

संवेदनहीनता या सियासत

       आज सुबह उठते ही घर व मोहल्ले मे हल्की अफरा तफरी दिखी। पहले तो यह सोचा कि आज महाष्टमी के व्रत व पूजन के कारण यह सरगरमी हो, पर मामला दूसरा था। पता चला कि आज सुबह से पूरे इलाके मे पानी की सप्लाई ही गोल है। वैसे दो दिन से बिजली व्यवस्था भी छिन्नभिन्न है। पहले तो यह बताया गया था कि बनारस मे विद्युत वितरण उपकेन्द्रो का उन्नकिकरण हो रहा है इस वजह से मंगलवार को विद्युत आपूर्ति बाधित होने की संभावना थी पर बुधवार को तो हद ही हो गयी सुबह से गयी बिजली रानी शाम के ६ बजे आई तो पर पल मे रत्ती पल मे मासा की तरह उन्होने जो रंग दिखाना शुरू किया कि यह ऑखमिचौनी का खेल रात के डेढ़ बजे तक चलता रहा।
बहरहाल बात आज सुबह की। पानी की आपूर्ति न होने से हर कोई परेशान । लोग बाग अपने अपने दरवाजे पर खड़े होकर पड़ोसियो से दरयाफ्त करते रहे कि पानी आया कि नही? जिन लोगो के यहॉ समर्सेबुल व पंप है वे भी लाचार दिख रहे थे कि बिजली भी नही आखिर पंप चले भी तो कैसे?
कुछ लोगो ने लगभग एक किलोमीटर दूर लालपुर पानी टंकी जा कर दरयाफ्त किया तो वहॉ से जो जबाब मिला उसे सुन दरियाफ्ती भाई लोग और भी परेशान । उन्हे कोई वाजिब वजह नही सूझ रहा था कि वे अपना सिर टंकी पर दे मारे या सामने मौजूद सरकारी कर्मचारियो का सिर फोड़ डाले। कारण जो वजह  कर्मचारियो द्वारा बताया जा रहा था, वो बनारसी भाषा मे ' विशुद्ध चुतियापा' था और जिसे करने को हर बनारसी अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानता है। टंकी पर यह बताया गया कि कल बिजली के तार को उल्टा जोड़ दिया गया था इसलिये पानी टंकी मे चढ़ नही सका। अब उसे ठीक किया जा रहा है। बिजली आते ही पानी चढ़ा कर सप्लाई दे दी जायेगी। अब आप समझते रहिये कि कई कई बरस से काम कर रहे पंप कर्मचारियो को अभी तक यह ही नही मालूम कि सही तार कौन सा है? या कल से उल्टे तार को जोड़े जाने के जानकारी के बावजूद क्या वो आज तक इंतजार कर रहे थे कि जब सुबह पब्लिक आ के उनका 'बहिनिया- मतरिया करेगी तब वे उसे ठीक करने का सोचेगें?
हमारा नवरात्रि ब्रत चलने के कारण फिलहाल हम इस भागदौड़ से अलग है पर लगे हाथ मैने सोचा कि एक सच्चे मोहल्लेवासी का फर्ज थोड़ा बहुत मुझे भी निभाना चाहिये। मैने फेसबुक पर अपने इलाके की दुर्दशा अपडेट किया साथ ही वाट्सऐप्प पर जल संस्थान के सचिव, नगरनिगम के आयुक्त, अपने विधायक, कुछेक मीडियाकर्मियो, कुछेक सोशल साईट्स ग्रुपों व दोचार सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस बात की सूचना दी पर फालतू व वाहियात जोक्स को शेयर करने वाले किसी भी ग्रुप ने इस समस्या पर संवेदनशील होने की आवश्यकता नही समझी। माननीय विधायक रविन्द्र जायसवाल जी ने न तो मेरा फोन उठाया न तो संदेश देखने की भी जहमत उठाई और जल कल के सचिव साहब संदेश पढ़ कर उसे फाईलो की तरह ही दरकिनार कर दिये जबकि समस्या का मूल संबध उनही से था। बल्कि नगर आयुक्त डा० हरि प्रताप साही जी के बारे मे व उनकी त्वरित जिम्मेदार कार्यपद्धति पर हम अब तक जो सुनते आये थे, उसका परिचय मिला। डा० साही साहब ने पूरे प्रकरण के विषय मे जानकारी लेकर उसका समाधान कराते हुये हमे १०.१८ बजे संदेश " सर उपरोक्त इलाके मे पानी की supply नतनिदाइ टंकी से होती है रात्रि मे बिजली कटौती की वजह से टंकी भर नही पाई है। सुबह से tubewell बिजली आने पर चालू है।" भी प्रेषित किया।
  यही नही हमने इस संदेश को ट्विटर के माध्यम से मुख्यमंत्री लगायत मीडियाहाऊसो तक भी भेजा था प्रत्यूषा के आत्महत्या , कन्हैया के स्वागत जैसे महत्वपूर्ण सवालो पर जूझने वाली मीडिया के पास आमजन की समस्या के बारे मे चर्चा करने को समय कहॉ?
यह तो रही आमजन के प्रति संवेदनहीनता, लगे हाथ सियासत की भी चर्चा कर लें।
समाजवादी पार्टी की पिछले तीन सालो के अवधि के दौरान हम लोग प्राय: हर हिन्दू त्यौहारो पर बिजली व पानी की समस्यायो से दो चार होते है। दशहरा ,दिवाली, शिवरात्रि, बसंतपंचमी, मौनी अमावस्या, रामनवमी के अवसर पर पानी बिजली की आपूर्ति अवशय ही अवरोधित हो रही है। पहले हमे यह संयोग लगता था, पर अब हर किसी के कहने पर हमे भी यह सियासत लगता है।
क्या हमारी राजनीति व व्यवस्था का स्तर इतना नीचे गिर चुका है कि अब हम त्यौहारो व खुशियो पर भी राजनीतिक शतरंज के सियासती दॉव चलने लगे है?

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