सोमवार, 10 जून 2019

व्योमवार्ता: सुबह ए बनारस की शुरूआत कचौड़ी जलेबी के साथ: व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 10जून 2019

व्योमवार्ता/ सुबह ए बनारस की शुरूआत कचौड़ी जलेबी के साथ : व्योमेश चित्रवंश की डायरी,10जून 2019, सोमवार

      सुबह ए बनारस की शुरूआत गंगा मईया के घाट से से चल कर मोहल्ले के कचौड़ी जलेबी की दुकानों से होते हुये पान जमा के पूरी होती है। जब पेट मे तर माल पड़ता है, तो मन मिजाज चंगा और चोला मस्त रहता है। आइए विपुल नागर जी से आज जानते हैं बनारस के राजसी नाश्ते कचौड़ी-जलेबी का थोड़ा इतिहास और भूगोल।
आटे की लोई में में पीसी हुई उड़द की दाल की थोड़ी मसालेदार पीठी भर कर उसे बेल कर देसी घी की कढ़ाई में तैराना और फिर गरमागरम सब्ज़ी के साथ परोसना। इस शानदार कचौड़ी के साथ केसरिया जलेबी। ये है बनारस का राजसी नाश्ता।
अगर इतिहास को थोड़ा खँगालें तो कचौड़ी शब्द बना मूल संस्कृत शब्द कच और पूरिका के मेल से। सम्भावना है कि कचपूरिका घिसते घिसते कचपूरीया हुआ होगा और फिर कचउरिया।  संस्कृत में कच का मतलब होता है बाँधना या बंधन। असल में पहले कचौड़ी पूरी के आकार की ना होकर मोदक के आकर की हुआ करती थी जिसमें आटे या मैदे की लोई में ख़ूब सारा मसाला  भर कर बाँध दिया जाता था इसलिए उसे कचपूरिका कहा जाता था। वहीं दूसरी ओर आपको जान कर आश्चर्य होगा कि जलेबी मूल रूप से अरबी भाषा का एक शब्द है और अरब से आयी इस मिठाई को जलाबिया कहा जाता है जिससे शब्द मिला जलेबी। वहीं दूसरी ओर जलेबी को भारतीय व्यंजन मानने वाले इतिहासकार और शोधकर्ता भी हैं। उनके अनुसार इसे पुराने समय में कुंडलिका या जल वल्लिका कहा जाता था। सच्चाई जो भी हो स्वाद इसका बेमिसाल है।
फिलहाल बात करते हैं बनारस की कचौड़ी और जलेबी की!
बनारस में कचौड़ियों की एक से बढ़कर एक दुकानें हैं। सुबह से ही इन दुकानों पर कचौड़ी और सब्ज़ी बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और उठने लगती है आपको अपनी ओर खींचने वाली सुगंध। ठठेरी बाज़ार में राम भंडार की कचौड़ी की कचौड़ी के अलावा विश्वेश्वरगंज के विश्वनाथ साव, चेतगंज के शिवनाथ साव, हबीबपुरा के मम्मा, डेढ़सी पुल वाली दोनो दुकानों, जंगमबाड़ी के बटुकसरदार, लोहटिया में लक्ष्मण भंडार, सोनारपुरा के वीरू और लंका वाली मरहूम चचिया के साथ साथ राम भंडार परिवार के ही सदस्यों की की नदेसर और महमूरगंज की दुकान की खर कचौड़ी और तर जलेबी प्रसिद्ध है। मौक़ा मिले तो इनमें से किसी भी दुकान पर जाइए। स्वाद पूरा मिलेगा।
        ये कचौड़ी और जलेबी का कॉम्बिनेशन ठीक वैसा ही है जैसे coke और चिप्स का। अब जलेबी तो हिंदुस्तान के हर शहर में बिकती है लेकिन बनारस की अन्य चीज़ों के अलावा बनारस की जलेबी भी थोड़ी ख़ास है. मुझे एक प्रसिद्ध हलवाई ने बताया था कि 'बनारसी हलवाई जलेबी बनाने वाली मैदानी पर बेसन का हल्का-सा फेंट मारते हैं. जलेबियां कितनी स्वादिष्ट बनेंगी, यह फेंटा मारने की समझदारी पर निर्भर करता है. कितनी देर तक और कैसे फेंटा मारना है यह कला बनारसी हलवाई अच्छी तरह जानते हैं.”
बनारस का स्वादिष्ट नाश्ता खर कचौड़ी और तर जलेबी, इस आपाधापी और दौड़ भाग के फ़ास्ट फ़ूड दौर में भी मजबूती से अपनी जगह बनाए हुए है।
आइए खाइए और बनारस के गुण गाइए!
(बनारस,10जून 2019, सोमवार)
http://chitravansh.blogspot.com

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