गुरुवार, 7 दिसंबर 2017

व्योमवार्ता / अपना बनारस स्मार्ट बनारस : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 06दिसंबर 2017 बुधवार

अपना बनारस स्मार्ट बनारस: व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 06 दिसंबर 2017, बुधवार

        बनारस को स्मार्ट सिटी से लेकर क्योटो तक बनाने की तैयारियां पिछले तीन साल से चल रही हैं, पर इसी बीच यह शहर क्या बन गया है पता ही नहीं चल रहा ?
मेरी समझ से पिछले लगभग 4-5 वर्षों से जिस प्रकार यह शहर खोदा जा रहा है इसे क्योटो या स्मार्ट सिटी की जगह मोहनजोदड़ो बनाने की तैयारियां अंदर ही अंदर चल रही हैं.
शायद अमेरिका या अरब देशों ने भी किसी शहर के हर भाग को लगातार 4-5 वर्षों तक खुदवाया होता तो अब तक 4-6 तेल के कुयें और 1-2 सोने की खदानें मिल चुकी होतीं.
वैसे यह शहर स्मार्ट बन पाये या न बन पाये, इस शहर ने यहां के निवासियों को बेहद स्मार्ट बना दिया है. आप भी ध्यान देंगे तो समझ जायेंगे.
यहां की सड़कों पर कोई भी गाड़ी चलाना एक विश्वप्रसिद्ध कला बन चुका है और उसी गाड़ी को चलाते हुये सही सलामत घर तक पहुंच जाना तो ऐसा लगता है कि आपने सब कुछ जीत लिया. देखिये कैसे-
    आप आराम से चले जा रहे हैं. रास्ते में एक सांड़ बैठा हुआ है जैसे ही आप उसके पास पहुंचे वह खड़ा हो गया. अब उससे बचाते हुये गाड़ी काटकर निकालना स्मार्टनेस नहीं तो और क्या है. यदि सांड़ ने खड़े होने के साथ ही अंगड़ाई लेते हुये अपनी सींगे घुमा दीं तब तो बचना ओवर स्मार्टनेस है.
     अन्य शहरों की तरह यहां सीवर के ढक्कन सड़क के लेबल पर नहीं रखे जाते क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो आप स्मार्ट नहीं बन पायेंगे. ढक्कनों को सड़क के लेबल से 6 इंच ऊपर या नीचे रखा जाता है. इससे तेज चलते हुये एकाएक ब्रेक मारने तथा हैंडिल काटकर निकलने की कला आती है. कुछ लोग उसमें फंसकर या हैंडल काटते समय गिर जाते हैं पर ऐसे लोगों से मैं यही कहना चाहता हूं कि आप अभी इस शहर के लायक स्मार्ट नहीं बन पाये है.
  कभी कभी चलते समय एकाएक आपके अगल बगल, आगे पीछे, दाहिने या बांये की गाड़ी यदि गायब हो जाये तो आश्चर्यचकित होने की जगह तुरन्त अपनी गाड़ी रोककर गाड़ी समेत गड्ढे (जो सड़क धंस जाने अथवा किसी कंपनी या ठेकेदार के द्वारा किसी भी काम से खोदकर छोड़ दिये जाने के कारण बना है) में घुसे हुये व्यक्ति की सहायता कीजिये क्योंकि वह बेचारा आपके शहर की स्मार्टनेस की परीक्षा में फेल हो गया है.
   यहां की सड़कें भी आपकी परीक्षा के लिये ही बनायी जाती हैं. नई बनी सड़कों पर 10-15 तक रफ्तार से चलने के बाद एकाएक एक दिन आपको सड़क दिखनी बन्द हो जाती है. पता चलता है कि सड़क की 15 दिन की आयु पूरी हो गयी. अब अगर आप इन 15 दिनों में अपनी आदत खराब कर चुके हैं तो आपका महीन फैली हुयी गिट्टयों में फिसल कर गिरना पक्का है, और आप स्मार्टनेस की परीक्षा में फेल समझे जायेंगे.
   आप आराम से जा रहे हैं और आपको समय पर आफिस पहुंचने की चिन्ता लगी हुयी है, अचानक आपके आगे जा रहे एक निश्चिंत महोदय ने दाहिने गर्दन घुमाकर पान की पीक थूक दी. अब आगे वाली गाड़ी की गति से एक महीन लाल रंग का फव्वारा आपकी तरफ आयेगा. ध्यान रखिये कि इस फव्वारे से अपने आपको बचा लेना सबसे बड़ी कला है और स्मार्टनेस की परीक्षा का अंतिम चरण भी. यदि आपने अपने आपको बचा लिया तो आप स्मार्टनेस की परीक्षा में उत्तीर्ण हो चुके हैं और बेझिझक इस शहर में रहने के लायक है. यह शहर आपको अपना लेगा.
        मेरे कहने का मतलब केवल इतना है कि यह आवश्यक नहीं है कि शहर देखने में स्मार्ट लगे. हम बनारसी इस बात की लड़ाई लड़ेंगे कि जिस शहर में विश्व के सबसे अधिक स्मार्ट लोग रहते हों वह शहर अपने आप लिस्ट में आना चाहिये.                                                
           बनारस नगर निगम , पी.डब्लू.डी., राज्य सरकार, केंद्र सरकार एवं बनारस की जनता ,सभी को जरा गौर करना चाहिए।
(बनारस, 06 दिसंबर 2017,बुधवार)
http://chitravansh.blogspot.com

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