सोमवार, 24 अक्तूबर 2016

कानून बनाम कानून : व्योमेश चित्रवंश की डायरी 24102016

ये अपने मोहम्मदपुरा में अजमेरी चचा, करीम मीट वाला, फारुख टेलर, सलीम मोची, और शाहरुख़ पंचरवाला बैठे बैठे मोदी को कोस कर टाइम पास कर रहे थे

अरे मियां ये मोदी कौन होता है

हम तो शरिया से चलेंगे, हां मुसलमान तो शरिया से चलेंगे, मिया शरिया से भी अच्छी चीज है कोई, हम न मानेंगे कोई भारत का काला कानून

तभी ट्यूशन पढ़ाने का काम करने वाला हामिद वहां घुसा

वो सभी शरिया शरिया वालो को आराम से बोलने लगा

अरे ज्यादा शरिया शरिया मत करो, ये मोदी टेढ़ी खोपड़ी है भड़क गया न तो पूरा शरिया ही मुसलमानों के लिए लगा देगा, फिर लिंग, हाथ काटने की सजाएं शुरू हो जायेगा

सभी हामिद की ओर देखने लगे.....हैं

जरा पूरा बताना क्या बोल रहा है तू.............

हामिद बोला - अभी मैं एक हिन्दू को सुन रहा था वो बोल रहा था

"भारतीय मुस्लिमों को तीन तलाक मामले में शरीया क़ानून के पालन की अनुमति दी जानी चाहिए. केवल उनसे और उनके परिवार वालों से लिखित में यह ले लेना चाहिए कि वे भविष्य में भी भारतीय संविधान और सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानेंगे, केवल शरीयत क़ानून ही मानेंगे...

फिर 1 जनवरी 2017 के बाद एक शरीया कोर्ट बैठे, जिसमें केन्द्र-राज्य सरकार की तरफ से भी मौलाना-मौलवी नियुक्त होंगे...

उसके बाद चोरी के आरोप में पकड़े गए मुस्लिम के हाथ काटे जाने चाहिए... बलात्कार के आरोपी मुस्लिम को एक गढ्ढे में आधा गाड़कर पत्थर मारते हुए उसकी मौत मुकर्रर होनी चाहिए... हत्या के दोषी मुस्लिम को चौराहे पर फाँसी देनी चाहिए...

यानी उनके शरीया में जो और जैसा लिखा हो, बिलकुल वैसी ही सजा उसे दी जाए... और वो भी ताबड़तोड़... जैसी सऊदी अरब, लीबिया वगैरा में दी जाती है. संविधान-हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट के चक्कर में फ़ोकट में टाईम खोटी करने करने की जरूरत नहीं...

(और हाँ!!! मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में राज्य व केन्द्र सरकारें किसी भी संगीत समारोह, शराब अथवा सिगरेट की अनुमति ना दें... शरीया का पालन पूरी तरह होना चाहिए, आधे-अधूरे मन से नहीं... जो मुसलमान ऐसा करते पाया जाए उसे दस-बीस कोड़े लगाकर छोड़ दिया जाए...

अलबत्ता हिंदुओं के लिए ऐसा कोई क़ानून नहीं होगा, क्योंकि हिन्दू तो संविधान के अनुसार चलने की सहमति दे चुके हैं....)

मुसलमानों के लिए पूरा शरिया ही लागू

कर दिया जाये"

फिर अजमेरी चचा, और बाकि सब हामिद पर चढ़ गए, क्या बात कर रहे हामिद मिया, ऐसा थोड़ी चलेगा, यहाँ कोई तालिबानी कानून है क्या........

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