शनिवार, 22 अगस्त 2015

इस देश मे आम जनता के मूलभूत सेवाओं के प्रति किसी की जिम्मेदारी बनती है कि नही - व्योमेश चित्रवंश?

चिथरू चच्चा बड़े खुश हैं .
चच्चा को लगता है कि ई हाईकोर्ट के सच्चे डिसीजन से पूरे प्रदेश मे एजुकेशन का स्तर बदल जायेगा और टूटहवा मिडिल व जर्जरहवा प्राईमरी स्कूल से भी आईएएस कलेक्टर निकलेगें. औ जब डीएम कलेक्टर गॉव के हमारे इन स्कूलो से निकलेगें तो देश मे करान्ति आ जायेगी.
        औ ई जज कलेक्टर तसीलदार एमपी के लड़के जब सरकारी इस्कूल मे पढ़ेगे तो एजूकेसन मे ग्राण्टी तो होना ही है, आखिर रोज संझा को ई साहब लोग तो अपने लईका लोग से इस्कूल का प्रोगरेस तो पूछेगें ना?
       हमे चुप देख चच्चा ने पूछा " क्यो वकील साब, हम बिलकुल सही कह रहे हैं ना?"
     अब हम चच्चा के दिल को नही तोड़ना चाहते पर सवाल वहीं है जहॉ सन सत्तर मे था कि सरकारी अस्पतालो मे कितने सरकारी अफसरान ईलाज के लिये जाते है? सरकारी रासन के दुकान, सरकारी परिवहन प्रणाली, सरकारी व्यवस्था को कितने सरकारी हुक्मरान उपकृत करते है.
फिर यह तो बच्चो के भविष्य व संविधान प्रदत्त शिक्षा के मूल अधिकार की बात है.
आज तक कभी यह क्यो नही पूछा गया कि कितने डीएम अपने पूरे कार्यकाल के दौरान अपने जिले के कितने प्राईमरी स्कूल, प्राथमिक अस्पताल, पीडीएस की दुकान, रोडवेज की बस , पावर हाउस, पानी टंकी , सफाई चौकी का निरीक्षण किये और इस संबंध मे उन्होने आज तक क्या किया?
        इस देश मे आम जनता के मूलभूत सेवाओं के प्रति किसी की जिम्मेदारी बनती है कि नही ?
वरना हम कब तक इस तरह के ख्याली पुलाव के चलते बात बात मे न्यायालय का मुँह निहारेगें जबकि फैसले के क्रियान्यवयन के लिये हमारे सूबे मे महान समाजवादी सरकार सत्तासीन है जो ईमानदार व नैतिकता के स्वरूप? यादव सिंह के खिलाफ जॉच के हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के लिये सुप्रीम कोर्ट मे जा कर आम जन की गाढ़ी कमाई के पैसों से जोरदार पैरवी करती है.....

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