आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
बन्दे मातरम,
आज आपका बनारस आने का कार्यक्रम है, कल रात से ही यहॉ बारिस हो रही है, पता नही आप का कार्यक्रम होगा भी या नही? पिछले २८ जून को भी ऐसा ही हुआ था. पता नही प्रकृति बनारस मे आपके कार्यक्रम मे बार बार बाधक क्यों बन रही है? ऐसे मे मौसम विभाग व प्रोटोकाल आपको क्या सलाह देते है इस पर पूरे बनारस की नजर है.
बहरहाल, मौसम के अनमने तेज रूख से जहॉ आपका कार्यक्रम दूसरी बार प्रभावित हो सकता है , वहीं हम उसके हल्के रूख से अकसर प्रभावित होने को मजबूर है, हल्की सी बारिस मे भी अकसर हमारे शहर की सड़कें हमारे पैरो के नीचे से खिसक जाती है, हमारे गली मोहल्ले ताल तलैय्या के रूप मे बदल जाते है जिससे बच्चो को अपना कागजी नौका बहाने के लिये दिन भर कहीं बाहर नही जाना पड़ता. बिजली विभाग वाले भी हम बनारसियों के सुरक्षा का कितना ख्याल रखते है इसका अंदाजा उनके द्वारा बारिस के आगाज के साथ ही लाईट काटने से लगाया जा सकता है. बिजली नही तो जलकल वाले भी यह सोच कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लेते है कि बारिस के पानी व ठण्ड हो चुके मौसम मे शायद शहर वालों को पानी की जरूरत ही नही.
ये सब तो दो-चार बानगियॉ है प्रधानमंत्री जी, जिसको सहने समझने को आपका संसदीय क्षेत्र बनारस आदती हो चुका है पर अभी आपको इस की आदत नही. होगी भी कैसे? प्रशासन आपको इन समस्यायों के बारे मे बताना तो दूर महक भी नही लगने देगा. वे आपके आने जाने की व्यवस्था सड़क मार्ग से बनने ही नही देगे कि आपको पता न हो जाये कि बनारस मे बरसात मे सड़के जल परिवहन का काम भी कर सकती है. उनकी कोशिस रहेगी कि आपको न पता चले कि दिन मे चार बार स्नान करने वाले और सदा जलाभिषेक पाने वाले बाबा विश्वनाथ के शहरियों को बरसात मे पीने नहाने का पानी ही नही मिलता. ये सरकारी लम्बरदार कभी नही चाहेगें कि आप को ये पता चले कि बनारस के विकास के लिये आया धन कितने ईमानदारी? के साथ गंगा की धारा मे बहा कर उसे भी प्रदूषित कर दिया गया? किस तरह चौड़ी सड़को की फुटपाथो पर आरसीसी के स्लैब ढाल दिय गये? किस तरह कभी अपने प्राकृतिक ड्रैनेज सिस्टम, सुचारु सुव्यवस्थित जल प्रणाली,जलकुण्डो व सदानीरा वरूणा वअसि के बीच बसा गंगा के किनारे का यह शहर आज गंदगी, बरसाती दुर्व्यवस्था से त्राहि त्राहि करने को मजबूर है?
पर प्रधानमंत्री जी, आपको ये सब बाते नही पता चलने वाली, प्रोटोकाल के हिसाब से पता चलना भी नही चाहिये. आपके लिये ये छोटी मोटी बातें होगीं लेकिन आपके क्षेत्र के हम बनारसियों की बड़ी बड़ी समस्याये है. हमे आपके ईमानदारी भरे प्रयासो पर भी कोई शंका नही पर प्रधानमंत्री जी दिल्ली से बनारस तक आने मे मौसम का रूख बदल जाता है. लम्बे रस्तो को पार कर बनारस के घाटो तक पहुँचने तक मॉ गंगा का पानी काफी कुछ बह जाता है और काफी हद तक प्रदूषित भी. सवाल स्वच्छता अभियान चलाने तक नही उसे कहॉ और कब किस प्रकार चलाया जाय इस पर भी पुनरावलोकन करना होगा.
ईश्वर करें कि आपके आने से पहले मौसम खुल जाये और आपकी बनारस यात्रा पूर्ण हो. हमे भी इंतजार है अपने सांसद का जो बनारस के विकास के लिये कटिबद्ध है.
जयहिन्द.
बन्दे मातरम,
आज आपका बनारस आने का कार्यक्रम है, कल रात से ही यहॉ बारिस हो रही है, पता नही आप का कार्यक्रम होगा भी या नही? पिछले २८ जून को भी ऐसा ही हुआ था. पता नही प्रकृति बनारस मे आपके कार्यक्रम मे बार बार बाधक क्यों बन रही है? ऐसे मे मौसम विभाग व प्रोटोकाल आपको क्या सलाह देते है इस पर पूरे बनारस की नजर है.
बहरहाल, मौसम के अनमने तेज रूख से जहॉ आपका कार्यक्रम दूसरी बार प्रभावित हो सकता है , वहीं हम उसके हल्के रूख से अकसर प्रभावित होने को मजबूर है, हल्की सी बारिस मे भी अकसर हमारे शहर की सड़कें हमारे पैरो के नीचे से खिसक जाती है, हमारे गली मोहल्ले ताल तलैय्या के रूप मे बदल जाते है जिससे बच्चो को अपना कागजी नौका बहाने के लिये दिन भर कहीं बाहर नही जाना पड़ता. बिजली विभाग वाले भी हम बनारसियों के सुरक्षा का कितना ख्याल रखते है इसका अंदाजा उनके द्वारा बारिस के आगाज के साथ ही लाईट काटने से लगाया जा सकता है. बिजली नही तो जलकल वाले भी यह सोच कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लेते है कि बारिस के पानी व ठण्ड हो चुके मौसम मे शायद शहर वालों को पानी की जरूरत ही नही.
ये सब तो दो-चार बानगियॉ है प्रधानमंत्री जी, जिसको सहने समझने को आपका संसदीय क्षेत्र बनारस आदती हो चुका है पर अभी आपको इस की आदत नही. होगी भी कैसे? प्रशासन आपको इन समस्यायों के बारे मे बताना तो दूर महक भी नही लगने देगा. वे आपके आने जाने की व्यवस्था सड़क मार्ग से बनने ही नही देगे कि आपको पता न हो जाये कि बनारस मे बरसात मे सड़के जल परिवहन का काम भी कर सकती है. उनकी कोशिस रहेगी कि आपको न पता चले कि दिन मे चार बार स्नान करने वाले और सदा जलाभिषेक पाने वाले बाबा विश्वनाथ के शहरियों को बरसात मे पीने नहाने का पानी ही नही मिलता. ये सरकारी लम्बरदार कभी नही चाहेगें कि आप को ये पता चले कि बनारस के विकास के लिये आया धन कितने ईमानदारी? के साथ गंगा की धारा मे बहा कर उसे भी प्रदूषित कर दिया गया? किस तरह चौड़ी सड़को की फुटपाथो पर आरसीसी के स्लैब ढाल दिय गये? किस तरह कभी अपने प्राकृतिक ड्रैनेज सिस्टम, सुचारु सुव्यवस्थित जल प्रणाली,जलकुण्डो व सदानीरा वरूणा वअसि के बीच बसा गंगा के किनारे का यह शहर आज गंदगी, बरसाती दुर्व्यवस्था से त्राहि त्राहि करने को मजबूर है?
पर प्रधानमंत्री जी, आपको ये सब बाते नही पता चलने वाली, प्रोटोकाल के हिसाब से पता चलना भी नही चाहिये. आपके लिये ये छोटी मोटी बातें होगीं लेकिन आपके क्षेत्र के हम बनारसियों की बड़ी बड़ी समस्याये है. हमे आपके ईमानदारी भरे प्रयासो पर भी कोई शंका नही पर प्रधानमंत्री जी दिल्ली से बनारस तक आने मे मौसम का रूख बदल जाता है. लम्बे रस्तो को पार कर बनारस के घाटो तक पहुँचने तक मॉ गंगा का पानी काफी कुछ बह जाता है और काफी हद तक प्रदूषित भी. सवाल स्वच्छता अभियान चलाने तक नही उसे कहॉ और कब किस प्रकार चलाया जाय इस पर भी पुनरावलोकन करना होगा.
ईश्वर करें कि आपके आने से पहले मौसम खुल जाये और आपकी बनारस यात्रा पूर्ण हो. हमे भी इंतजार है अपने सांसद का जो बनारस के विकास के लिये कटिबद्ध है.
जयहिन्द.
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