शनिवार, 22 अगस्त 2015

बनारस की वास्तविक समस्या - व्योमेश चित्रवंश

माननीय प्रधान मंत्री जी,
प्रणाम,
विश्वास है कि आप का यह विदेश दौरा भी काफी सफल रहा होगा और आप के प्रयासों से भारत वर्ष की दुनिया मे और अच्छी साख बनी होगी. हमे भी बहुत अच्छा लगता है जब हमारा अपना सांसद प्रधानमंत्री के रूप मे विश्वपटल पर देश का नाम ऊँचा करता दिखता है पर प्रधानमंत्री जी हमारे अपने सांसद होने के नाते हमे भी आपसे ढेरों अपेक्षायें है, निश्चित ही आप के मन मे बनारस को ले कर एक सोच है और आप का प्रयास सराहनीय व प्रशंसनीय है. बावजूद इसके हम आप का ध्यान उन छोटे मुद्दो पर दिलाना चाहते हैं जो आपके ईमानदार प्रयासों मे पेदें मे छेद की तरह बनी हुई हैं और कहीं न कहीं उन्हे उनके पवित्र उद्देशयों से भटका रही हैं.
१- बनारस पर जनसंख्या का दबाव दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है पर यातायात व्यवस्था के नाम पर कुछ सड़के और उन पर चल रहे आटो रिक्सा, रिक्सा, प्राईवेट साधन दुपहिया व कारे है. कोई सरकारी व्यवस्था न होने से यातायात की बोझ से मारी सड़को व बेहाल आम जनता के पास जाम, झगड़ा व समय के नुकसान के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प शेष नही.
केन्द्र ने जे एन यू आर आर एम के नाम पर बनारस को १३० बसे दिया और ये नियमानुसार समयबद्ध ढंग से  चलने पर शहर के एक छोर से दूसरे छोर को जोड़ने के लिये पर्याप्त भी थी. इससे न सिर्फ सड़को पर वाहनो का बोझ कम होता बल्कि आम बनारसी के पैसे व समय की बचत होती पर इन बसों का कोई लाभ शहर को नही मिल सका. कारण? आटो यूनियन का रोडवेज के साथ भ्रष्ट काकस व शहर के यातायात व्यवस्था के प्रति ईच्छा शक्ति का अभाव. परिणामत: आज तक न तो बसें चली न ही सड़को पर बोझ कम हुआ. हॉ इन न चलने वाली बसों के लिये सुन्दर सुन्दर बस स्टाप जरूर बन गये जो गिलट बाजार बाईपास पर पुलिस चौकी, कचहरी पर फल की दुकान, कैण्ट पर जूते की दुकान, लहुराबीर पर सब्जी की दुकान व अन्य स्थानो पर विविध प्रयोगों मे आ रहे है. बसे जौनपुर इलाहाबाद चंदौली भदोही मिर्जापुर व अन्य रूटो पर चल रही है. शायद शासन ने अपनी नीति मे ऐसा ही कुछ बदलाव किया हो.
महोदय, हमे इन बदलावों से कोई शिकायत नही, हॉ ये सोच कर पीड़ा जरूर होती है कि यदि यातायात संबंधी यह कार्यक्रम ईमानदारी से लागू किया जाय तो अभी भी बनारस शहर को आराम से जीने की संभावनाओं से परिपूर्ण किया जा सकता है.
(दूसरे बिन्दु पर अगली बार)
उम्मीद है कि हम आम बनारसी की पीड़ा को समझते हुये आप कोई कार्ययोजना जरूर विकसित करेगें.
सादर,
आपके संसदीय क्षेत्र का एक आम नागरिक

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