धरती के भगवान? (भाग-4)
#कोविड_टीकाकरण के दूसरे डोज के लिये #वाराणसी के #नगरीय_सामुदायिक_स्वास्थ्य_केन्द्र_चौकाघाट जाना हुआ। पुराने जीटी रोड चौकाघाट से ढेलवरिया वाले पहुंच मार्ग पर एकदम रेलवे लाईन के बगल मे बना है यह स्वास्थ्य केन्द्र। पहले मात्र प्रसूति #चिकित्सालय के रूप मे स्थापित केन्द्र को लगभग दस साल पहले उच्चीकृत कर #यूसीएचसी बना कर सरकार ने ढेर सारे #चिकित्सा_विशेषज्ञों की नियुक्ति भी कर दिया। पेड़ पौधों के बीच बने अस्पताल मे गैरचिकित्सकीय एवं पैरा मेडिकल स्टाफ की अच्छी खासी फौज है।आजकल कोविड टीकाकरण के लाभार्थियों की भीड़ है बाकी समय पर #डिलीवरी_केसेज को छोड़ कर कोई नही दिखता। कारण डाक्टर साहब नही रहते। यहां दशको से भी अधिक समय से जमी हुई दो #एएनएम डिलीवरी केसेज को अपने ढंग से डील कर लेती है। यह डील तीन हजार तो कभी सौ दो सौ रूपये कम मे आराम से हो जाती है।
यूं तो यहां जनरलसर्जन, एनेस्थिसिया स्पेशलिस्ट, फीजिशियन, गायनोलाजिस्ट स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ,बालरोग विशेषज्ञ जैसे पदों पर कई नियुक्तियां है पर चिकित्सालय प्रभारी #डा०मनमोहन व फीजिशियन #डा०निशान्त_चौधरी को छोड़ कर बाकी डाक्टरों को मरीज तो क्या शायद अस्पताल ने भी कभी देखा हो? न आने वाले डाक्टरों का #काकस इतना मजबूत है कि उन्होने अपनी ओर उंगली न उठने के लिये #सीएमओ कार्यालय मे सेटिंग कर अस्पताल मे बैठने और मरीज देखने वाले डा० मनमोहन की एडिशनल ड्यूटी #पोस्टमार्टम हाऊस मे तो डा०निशान्त की ड्यूटी #कोरोना_हास्पीटल मे लगवा दिया ताकि वे लोग भी अस्पताल पर न रह सकें।इन डाक्टरों मे कोई #मंत्री का रिश्तेदार है तो कोई #सचिव का खास।
ऊपर से तुर्रा यह कि इन सभी डाक्टरों के #हस्ताक्षर उपस्थिति पंजिका पर ठीक दस बजे हो जाते है। #ड्यूटीरूम मे रखे #रजिस्टर पर डाक्टर साहब के गैरमौजूदगी मे उनके दस्तखत कैसे हो जाते है? इसका राज भी यहां दशकों से मालिकाना चला रही उन्ही दोनों एएनएम्स को ही पता है। अगर इन डाक्टरों के #सीयूजी मोबाईल फोन के #लोकेसन को अस्पताल के #रिकार्ड से मिलान कर लिया जाये तो धरती के इन कथित भगवानों की #मरीजों के प्रति निष्ठा व #चिकित्सा सेवा के प्रति #समर्पण का सच सामने आ जायेगा।
टीका लगवाने के बाद चिकित्साकर्मियों को धन्यवाद देने के लिये वहीं बैठे एक स्थानीय व्यक्ति से मैने पूछा कि "इंचार्ज साहब, कब मिलेगें?" तो उसने बताया कि "भैया छक्के पंजे से दूर बेचारे बस इंचार्ज साहब और चौधरी साहब ही तो मिलते है यहां।बाकी का पता नही।"
मेरे कारण पूछने पर उसने बड़ी मासूमियत से बताया कि " पहले जो इंचार्ज साब थी वो बहुत बड़े नेता की बीबी थी, वे तो चार्ज लेने व देने भी अस्पताल पर नही आई थी।अभी के दो दो डाक्टर साहब एक ही परिवार के है। वे यहीं पाण्डेपुर मे अपना अस्पताल देखेगें कि यहां आयेगें? #सरकार अनायास का डेढ़ दो लाख रूपये दे ही रही है।"
धरती के भगवान कहे जाने वाले सरकारी सेवारत #राजपत्रित_चिकित्सकों के अपने निजी नर्सिंगहोम, प्राईवेट क्लिनिक व आन काल विजिट से अंधाधुंध धन कमाने मे पूरे मनोयोग से चिकित्सा सेवा देने वाले इन मानवगिद्धों के लिये क्या कोई और नाम सार्थक हो तो अवश्य सुझाईयेगा।
आखिर बड़े मेहनत से काफी पैसे खर्च कर डाक्टर बने है हूजूर।
अब पैसा नही लूटेगें तो कब लूटेगे?
#धरती_के_भगवान?
#मानवगिद्ध
#UCHC_choukaghat
अवढरदानी महादेव शंकर की राजधानी काशी मे पला बढ़ा और जीवन यापन कर रहा हूँ. कबीर का फक्कडपन और बनारस की मस्ती जीवन का हिस्सा है, पता नही उसके बिना मैं हूँ भी या नही. राजर्षि उदय प्रताप के बगीचे यू पी कालेज से निकल कर महामना के कर्मस्थली काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे खेलते कूदते कुछ डिग्रीयॉ पा गये, नौकरी के लिये रियाज किया पर नौकरी नही मयस्सर थी. बनारस छोड़ नही सकते थे तो अपनी मर्जी के मालिक वकील बन बैठे.
रविवार, 11 जुलाई 2021
व्योमवार्ता/ धरती के भगवान-4
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