सोमवार, 12 जुलाई 2021

व्योमवार्ता/ धरती के भगवान-3

धरती के भगवान? (भाग-3)

        #एलोपैथी का तो जलवा है ही पर मौका पाते ही #होम्योपैथी वाले भी अपना जलवा दिखा देते है। #बनारस के #भोजूबीर मे विशाल मेगामार्ट के सामने तिराहे के पास एक होम्योपैथी डाक्टर थे #एमएचएमएस। हर मरीज से बातों बातों मे वे अपनी मास्टर डिग्री का जिक्र जरूर कर देते। पर उनके ईलाज के बाद सभी मरीजों की उनके बारे मे आम राय होती थी कि वे #तुक्का_पर_ईलाज करते है। लह गया तो लह गया वरना होम्योपैथी ज्ञान बघारने के लिये #मास्टर_डिग्री का नाम तो है ही।एक बार पत्नी को पीलिया होने पर मैने पत्नी को उन्हे दिखाया। ईलाज शुरू हुआ। शुरूआती परिणाम सकारात्मक भी निकले पर दस दिन बाद टेस्ट कराने पर #बेलीरूबीन काफी बढ़ा हुआ निकला। रिपोर्ट दिखाते समय मैने डाक्टर साहब से जानना चाहा कि सारे दवा परहेज के बावजूद ऐसा कैसे हो गया? ये किसी और बात का लक्षण तो नही?
       डाक्टर साहब ने बड़ा एेंठते हुये जबाब दिया," देखिये, मै इसे समझा नही पाऊगाॅ और आप यह समझ भी नही पायेगें।क्योंकि यह #डाक्टरी है आप की #वकालत नही।"
मेरे लिये ये बड़ी त्रासद स्थिति थी। सरेआम अपमानित महसूस करते हुये मैने कहा" डाक्टर साहब क्षमा किजियेगा। मुझे लगता है कि अगर आप मुझे समझा नही पायेगें तो मेरा ईलाज भी नही कर पायेगें। इसके पीछे के कारण को आप समझ भी नही पायेगें क्योंकि यह डाक्टरी नही #व्यवहारिक_बात है।" बहरहाल मै अपनी पत्नी का ईलाज एक दूसरे डाक्टर साहब से करवाना शुरू किया और आज भी हम लोगों के छोटे मोटे ईलाज के लिये लिये हमारे मोहल्ले के ही बीएचएमएस डाक्टर साहब सस्ता समझाने वाला ईलाज करते हैं। बाद मे वो एमएचएमएस डाक्टर साहब अन्यत्र कालोनी मे मकान  बनवा कर अपनी #क्लिनिक वहां स्थानान्तरित कर लिये। पर उनके पिता जी की होम्योपैथिक दवा की दुकान वही है। आज भी एमएचएमएस डाक्टर साहब की लिखी हुई पेटेण्ट दवाईयां आपको वहीं से ही लेनी पड़ेगी। भले ही आप की खुद की होम्योपैथी दुकान क्यों न हो?
इसे कहते है अपने साथ साथ अपने #परिवार का भी #रोजगार।
चलती दुकान का नाम है हूजूर।
#धरती_के_भगवान?
#मानवगिद्ध

कोई टिप्पणी नहीं: