सोमवार, 5 जून 2017

पर्यावरण दिवस, जो किया जा सकता है: व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 5 जून 2017

क्या सार्वजनिक बसो को समयबद्धऔर पर्याप्त मात्रा मे चला कर प्रदूषण व जाम  रोकने की कवायद नही करनी चाहिये?

आज पूरा देश विशेषकर हमारा शहर जाम व प्रदूषण से परेशान है. आम जनता की तकलीफ है कि चारो तरफ जाम रहता है धूल गर्दा धूप से कही जाना मुश्किल हो गया है, प्रशासन की दिक्कत यह है कि शहर की सड़के सँकरी है लोगो को जल्दी है बेतरीब ड्रइविंग है बेहिसाब गाड़ियॉ है कम संसाधन है उपर से बनारसी भौकाल .
ऐसे मे कैसे नियंत्रित व सहज हो शहर की व्यवस्था?
इस बात को लेकर मीटिंग दनादन हो रही है एसी मीटिंग हाल से लेकर चौराहो के कोने अतरे तक.
पर रिजल्ट सब विकास के पैसे की तरह कहॉ जारगा है पता ही नही.

भाई मेरे, कभी इसका सामान्य सा हल सोचा और पालन किया गया होता तो अपने शहर मे ये समस्या ही नही है.
बनारस की जनता को शहर के चारो कोनो से जोड़ने वाली समयबद्ध व सर्वसुलभ नगर बस प्रणाली से बस जोड़ कर उसे नियमित व बाधारहित चलाने की जरूरत है.
मसलन सारनाथ से डीरेका, शिवपुर से लंका. मडुआडीह से मुगलसराय, कचहरी से राजातालाब, बाबतपुर से राजघाट, सामनेघाट से चौकाघाट के रूट पर हर १० से १५ मिनट पर बस चला कर सड़क पर वाहनो की भीड़ काफी कम की जा सकती है. होना तो यह भी चाहिये कि बस रूट पर रिक्सा आटो व प्राईवेट वाहनो को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाये.( विशेष परिस्थिति व रोगी वाहनो को छोड़ कर )
ऐसा नही है कि यह कार्य संभव नही है, बहुतों को याद होगा कि आज से २०-२५ वर्ष पूर्व बनारस मे सिटी बस की यह व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही थी.
सच तो यह है कि हम मे से बहुतेरे जाम प्रदूषण और पार्किंग के झंझट के साथ साथ पेट्रोल खर्च व व्यर्थ समय से बचना चाहते है ऐसे मे हमे सरल सुचारू समयबद्ध सस्ती यातायात बस प्रणाली मिले तो हम क्यो अपने जेब पर पेट्रोल व पार्किंग तथा सिर पर धूप व जाम का टेन्सन झेलेगें ?
शहर के यातायात समस्या पर आपके विचार आमंत्रित है. आइये मिल जुल कर सोशल मीडिया के रास्ते से ही से इसका समाधान खोजा जाय.....
(पिछले साल फेसबुक पर लिखी गई पोस्ट, जो आज भी प्रासंगिक है और कल भी रहेगी)
(बनारस, 5 जून 2017)

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