खजुहट वाला कुत्ता : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 29 जून 2017, गुरूवार
मेरे मोहल्ले मे एक कुत्ता है, खजुहट सा, कभी कभार रात बिरात मुझे आते जाते देख भौंकने लगता है, नजदीक पहुँचने पर दुम दबा के भाग लेता है, अकसर मै बुधवार को अपने पंडितजी के सलाह के अनुसार उसे रोटी भी फेंक देता हूँ, और वह ससुरा आ के दुम हिलाता हुआ खा भी लेता है .
कल बहुत देर तक सोचता रहा कि यह मेरे हाथ से रोटी खा के भी क्यों कभी कभीं भौंकने लगता है?
श्रीमती जी ने मेरे सोचों पर पूर्णविराम लगाते हुये समस्या का समाधान किया " अरे वह कुत्ता है, नही भौंकेगा तो लोगो को कैसे पता चलेगा कि वह कुत्ता है."
# मेरे इस पोस्ट को आप देश व राजनीति से जोड़ कर पढ़ने के लिये पूर्ण स्वतंत्र है, क्योंकि मै भी वही कह रहा हूँ जो आप समझ रहे हैं, कुत्ता साला कुत्ता ही है"#
(बनारस, 29 जून 2017, गुरूवार)
http://chitravansh.blogspot.in
अवढरदानी महादेव शंकर की राजधानी काशी मे पला बढ़ा और जीवन यापन कर रहा हूँ. कबीर का फक्कडपन और बनारस की मस्ती जीवन का हिस्सा है, पता नही उसके बिना मैं हूँ भी या नही. राजर्षि उदय प्रताप के बगीचे यू पी कालेज से निकल कर महामना के कर्मस्थली काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे खेलते कूदते कुछ डिग्रीयॉ पा गये, नौकरी के लिये रियाज किया पर नौकरी नही मयस्सर थी. बनारस छोड़ नही सकते थे तो अपनी मर्जी के मालिक वकील बन बैठे.
गुरुवार, 29 जून 2017
खजुहट वाला कुत्ता : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 29 जून 2017, गुरूवार
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