मॉ को लेकर बीएचयू ट्रौमा सेण्टर मे पिछले शुक्रवार से हूँ। आपरेशन हो चुका है। आज ड्रेसिंग हुई, परिणाम सकारात्मक है।
समय व्यतीत करने के लिये अपने गुरूदेव डॉ० नरेन्द्र कोहली का महाभारत आधारित उपन्यास महासमर दूसरी बार पढ़ रहा हूँ। श्रृंखला की दूसरी कड़ी अभियान मे एकलव्य के गुरू समर्पण तक की कथा पूर्ण हो चुकी है। कथा के साथ साथ जीवन के प्रति एक नयी दृष्टिबोध विकसित हो रही है। महासमर महाभारत के कथा को आधार मान कर भी उन समस्त मानवीय समस्यायो के समाधान के प्रति एक नया आयाम प्रस्तुत करता है जो हमे दैनिक जीवन के समस्यायों से दो चार करते हुये परेशान करती है।
महासमर पढ़ने व गुनने के पश्चात जीवन के प्रति एक नये मूल्यबोध का साक्षात्कार हो रहा है । ईश्वर इस मूल्यबोध के प्रति समर्पण सदा बनाये रखें।
महासमर निसंदेह ही अतीत के महाभारत को आधार मान कर वर्तमान के समस्यायो का मनोवैग्यानिक समाधान प्रस्तुत करने का अद्भुत प्रयास है। इसी लिये आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने महासमर के लिये लिखा था कि आप महाभारत पढ़ने बैठेगें और अपना जीवन पढ़ कर उठेगें। यही सच भी है।
(काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, बनारस, 24 जुलाई 2016)
http://chitravansh.blogspot.com
अवढरदानी महादेव शंकर की राजधानी काशी मे पला बढ़ा और जीवन यापन कर रहा हूँ. कबीर का फक्कडपन और बनारस की मस्ती जीवन का हिस्सा है, पता नही उसके बिना मैं हूँ भी या नही. राजर्षि उदय प्रताप के बगीचे यू पी कालेज से निकल कर महामना के कर्मस्थली काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे खेलते कूदते कुछ डिग्रीयॉ पा गये, नौकरी के लिये रियाज किया पर नौकरी नही मयस्सर थी. बनारस छोड़ नही सकते थे तो अपनी मर्जी के मालिक वकील बन बैठे.
सोमवार, 23 जनवरी 2017
महासमर -2, अभियान : अतीत से वर्तमान को समझने का मनोविज्ञान : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 24 जुलाई 2016
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