शनिवार, 9 अप्रैल 2016

व्योमेश चित्रवंश की डायरी : नवरात्रि का दूसरा दिन और अपना बनारस, 09 अप्रैल 2016, शनिवार

बनारस के रेसम कटरा मे सुबह ५.४५ पर

बनारस गजब का नगर है...........!!
जहां हर कोई "गुरु" है,
चेला कोई नही,
और
हर कोई " राजा " है,
प्रजा कोई नही।
एक कहता है कि " कागुरु "
दूसरा कहता है " हाँ गुरु "।
एक कहता है " काराजा "
दूसरा कहता है " हाँ राजा "।
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और तो और बनारस की पतली सी गली में
एक ओर से मोटरसाइकिल तो
दूसरी ओर से सांड आमने-सामने होने पर ,
सांड बड़ी समझदारी से अपनी गर्दन एक तरफ झुकाकर रास्ता दे देता है।
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एक ऐसा शहर जहां कोई ड्रेस कोड नही है....
एक " गमछा "कमर से लपेटकर दूसरा गमछा कन्धे पर रखकर नंगे बदन पूरा बनारस घूम आइये,
न कोई टोकेगा और न ही खुद बिना कपड़ों के होने का एहसास होगा।।
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शायद इसीलिए बनारसी लोग बड़े शान से कहते हैं..
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" ई राजा बनारस है।
.हरऽऽऽऽऽऽ हरऽऽऽऽऽऽ महाऽऽऽदेव

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