बनारस के रेसम कटरा मे सुबह ५.४५ पर
बनारस गजब का नगर है...........!!
जहां हर कोई "गुरु" है,
चेला कोई नही,
और
हर कोई " राजा " है,
प्रजा कोई नही।
एक कहता है कि " कागुरु "
दूसरा कहता है " हाँ गुरु "।
एक कहता है " काराजा "
दूसरा कहता है " हाँ राजा "।
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और तो और बनारस की पतली सी गली में
एक ओर से मोटरसाइकिल तो
दूसरी ओर से सांड आमने-सामने होने पर ,
सांड बड़ी समझदारी से अपनी गर्दन एक तरफ झुकाकर रास्ता दे देता है।
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एक ऐसा शहर जहां कोई ड्रेस कोड नही है....
एक " गमछा "कमर से लपेटकर दूसरा गमछा कन्धे पर रखकर नंगे बदन पूरा बनारस घूम आइये,
न कोई टोकेगा और न ही खुद बिना कपड़ों के होने का एहसास होगा।।
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शायद इसीलिए बनारसी लोग बड़े शान से कहते हैं..
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" ई राजा बनारस है।
.हरऽऽऽऽऽऽ हरऽऽऽऽऽऽ महाऽऽऽदेव
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