बुधवार, 16 मार्च 2016

व्योमेश चित्रवंश की डायरी 16 मार्च 2016, बुघवार

 १६ मार्च २०१६, बुधवार
सुबह का मौसम साफ पर ठण्ड लिये हुये था, देर तक धूप मे बैठ अखबार और tough times never gone but tough people do it पढ़ता रहा. कड़ी धूप मे तेज हवा वातावरण को अपने ढंग से समायोजित करती रही.
कचहरी मे उम्मीद के अनुरूप प्रतापगढ़ मे कल हुये अधिवक्ता के हत्या के विरोध मे हड़ताल रही. छिटपुट कामो के बीच उपभोक्ता फोरम जाना पड़ा. वहॉ हड़ताल का कोई असर नही दिखा. नये पीठासीन अध्यक्ष के पदासीन होने के बाद  फोरम की कार्यपद्धति मे आमूलचूल परिवर्तन हुये है. जिनका असर अब दिखने लगा है.  परवेज मियॉ को जनवरी व फरवरी का एसीसी वाल्यूम १ बाइंडिग के लिये वापस किया, थोड़ी समय बिताने के पश्चात ३ बजे के आसपास घर वापसी पर अधूरी किताब को पढ़ना जारी रखा. दूबारा पढ़ने व गुनने मे समय लगना स्वाभाविक है, नेट पर बहुप्रतिक्षित दिनकर जी की संस्कृति के चार अध्याय दिखी तो उसे भी डाउनलोड किया, अगला क्रम संस्कृति को समर्पित.
देर शाम प्रदीप भाई आ गये. उनके साथ देर तक दुनिया जहॉ की बाते होती रही और इस अलस भरे मौसम का एक दिन और बीत गया.

कोई टिप्पणी नहीं: