रविवार, 8 जनवरी 2017

जीवन जीने का ढंग सीखाती एक कविता : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 08 जनवरी 2017, रविवार

जीवन का एक सच जो हम स्वीकार नही करते या जानबूझ कर उस वास्तविक सच को जीवन भर झुठलाते है. और जीवन रोजमर्रा  के आपाधापी मे वास्तविक जीवन को जीना भूल जाते है . लिहाजा हम धीरे धीरे मरने लगते है. बावजूद इसके दुर्भाग्यत: हम जीना नही सीख पाते.
नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा की कविता  "You  Start  Dying  Slowly" जो मुझे बेहद पसंद है. प्राय: जब अनायास के भागदौड. व्यस्तता व तनाव से मेरा सामना पडता  है तो यह कविता मुझे बहुत सूकून देती है. इस कविता का हिन्दी अनुवाद भी बेहद सरल व सहज है. कविता का हिन्दी अनुवाद...

आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- करते नहीं कोई यात्रा,
- पढ़ते नहीं कोई किताब,
- सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ,
- करते नहीं किसी की तारीफ़।

आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, जब आप :
- मार डालते हैं अपना स्वाभिमान,
- नहीं करने देते मदद अपनी और न ही करते हैं मदद दूसरों की।

आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के,
- चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे,
- नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार,
- नहीं पहनते हैं अलग-अलग रंग, या
- आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान।

आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- नहीं महसूस करना चाहते आवेगों को, और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को, वे जिनसे नम होती हों आपकी आँखें, और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को।

आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप :
- नहीं बदल सकते हों अपनी ज़िन्दगी को, जब हों आप असंतुष्ट अपने काम और परिणाम से,
- अग़र आप अनिश्चित के लिए नहीं छोड़ सकते हों निश्चित को,
- अगर आप नहीं करते हों पीछा किसी स्वप्न का,
- अगर आप नहीं देते हों इजाज़त खुद को, अपने जीवन में कम से कम एक बार, किसी समझदार सलाह से दूर भाग जाने की...।
*तब आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं...!!!*
( बनारस, 08जनवरी2017, रविवार)
http:chitravansh.blogspot.com

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