खबर तो दुःख की ही है…
उम्मीद बहुत कम है कि परम आदरणीय श्री विजय विट्ठल माल्या साहब शायद ही इस धरती पर लौटें, जहां हम भारतवासी रहते हैं…. भला कौन उनके योगदान को भुला सकता है ??? सच तो ये है कि देश के भटके युवाओं का सच्चा प्रतिनिधित्व कोई करता था तो वो थे अपने माल्या साहब… शराब, शबाब और ऐयाशी का इतना बड़ा पर्याय तो इस समय देश में कोई नहीं है… हर नए साल का “असली” स्वागत तो माल्या साहब ही करते थे… जब उनके कैलेंडरों पर अर्धनग्न मॉडल्स की धूम रहती थी… लोग कैलेण्डर पाना तो दूर उसकी एक झलक देखने को तरसते थे… “न्यूड कलाकारी” की जीती-जागती मिसाल हुआ करता था ये महान कैलेण्डर, अब इसे कौन छापेगा… सचमुच देश में उभरती इस कला पर बड़ा प्रतिकूल प्रभाव पडेगा…
अब जिसको देखो हल्ला मचा रहा है कि माल्या साहब 91 हज़ार करोड़ का छूना लगाकर चले गए लेकिन उनका योगदान कोई याद नहीं रखना चाहता… इस कैलेण्डर में ही अच्छा-खासा पैसा लगता था लेकिन वो बिना प्रॉफिट के छपवाते थे… 250 से ज्यादा लग्जरी और विटेंज कारों से उनको कौन सा मुनाफ़ा हुआ… उसमे तो केवल करोड़ों रूपये उन्होंने खर्च ही किये होंगे…
क्या दुनिया की सबसे बड़ी शराब बनाने वाली कंपनी यूनाइटेड स्प्रिट्स के चेयरमैन के रूप में उन्होंने देश का मान नहीं बढाया, जब यह शराब कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गयी??? अमीर से लेकर गरीब तक जब परेशान होते थे तो माल्या साहब का सुनहरा पानी ही उन्हें सुकून देता था… न विश्वास हो तो लीवर की डाक्टर्स से पूछों, उनकी कमाई में माल्या साहब का एक बड़ा योगदान था… अरे ये सरकार भी लंबा टैक्स कमाती थी….
अब अखबार लिख रहे हैं कि हम आम जीवन में देखते हैं कि कोई आदमी महज़ 5-10 हज़ार रुपये का क़र्ज़ नहीं चुका पाए तो उसे बैंकें या तो पकड़ ले जाती हैं या फिर उसके घर बॉउंसर भेज देती हैं. लेकिन माल्या जैसे धन्ना सेठों के साथ रियायत करती हैं… बताइये गरीब तो इस देश पर बोझ ही हैं… कौन सा सरकार को टैक्स देते थे…. नेताजी लोगों को असली आनंद माल्या साहब ही करवाते थे… भला कौन नहीं होगा जो उनकी पार्टी में जाना नहीं पसंद करे….
कहीं पढ़ा कि 9 हज़ार करोड़ रुपये में 10 हजार रुपये प्रति शौचालय की लागत वाले 90 लाख शौचालय तैयार किए जा सकते थे. 200 बिस्तर वाले 45 नए अस्पताल खोले जा सकते थे. 9 हज़ार करोड़ रुपये में 2 लेन वाली 2 हजार किलोमीटर लंबी सड़क बिछाई जा सकती थी. महिला और बच्चों के कल्याण के लिए बजट की 90 फीसदी रकम 9 हज़ार करोड़ रुपये के ज़रिए जुटाई जा सकती थी. अब बताइये अगर वो ये सब करते तो कौन उन्हें जानता…. टीवी चैनलों को चटखारेदार खबर कहाँ से मिलती…. कोई कह रहा था कि दस दिन पहले डियाजियो से 515 करोड़ रुपये की डील करने और अपनी कंपनी के चेयरमैनशिप से इस्तीफा देने के बाद भी माल्या ने कहा था कि वह लंदन में बसना चाहते हैं, ताकि वह अपने बच्चों के और करीब रह सकें. तब पूरे देश को लगा कि माल्या बैंको का पैसा डुबोकर भागेंगे, लेकिन उन्हें रोकने वाली तमाम एजेंसियां हाथ पर हाथ धरे बैठी रहीं.बताइये भला कि इन अफसरों के और कोई काम नहीं क्या जो माल्या के चक्कर में पड़कर अपनी नौकरी फंसाते.. अभी इनकी सरकार है और कभी उनकी सरकार होगी… सबके अच्छे दोस्त से थे माल्या साहब… माननीय सांसद थे…2002 पहली बार कर्नाटक से निर्दलीय चुने गयी… और तब मदद की थी कांग्रेस ने… आप लोगों को क्या है राज्यसभा में कांग्रेस के गुलाम नबी आज़ाद की बात सुनकर चले आये माल्या की खिलाफत करने… मालूम भी है उस समय कांग्रेस कर्नाटक के प्रभारी थी गुलाम नबी आज़ाद… 2010 में माल्या साहब फिर राज्यसभा के लिए चुने गए और मदद की भाजपा और जेडीएस ने… अब ऐसा महान व्यक्ति अगर कर्ज के डर से चला गया तो ठीक ही न हुआ… और फिर माननीय सांसद थे… जब इस देश में हत्या और बलात्कार के आरोपी भी संसद में हैं तो इनपर केवल चंद हज़ार करोड़ कर्जा था… उन्हें तो आराम से जाने ही दिया जाना चाहिए था…. बताइये न.. फार्मूला वन से लेकर फ़ुटबाल तक… क्रिकेट में रॉयल चैलेंजेर से लेकर घुड़दौड़ तक हर तरह का मनोरंजन कराने की कोशिश करते थे अपने माल्या साहब… अब जब ललित मोदी क्रिकेट में मनोरंजन और चीयर गर्ल की सौगात देकर देश से भाग सकते हैं तो इन्होने तो काफी काम किया है, क्या बुरा हुआ जो ये निकल लिए…. चलिए छोडिये…. दुःख तो हुआ कि इतना महान व्यक्ति देश से चला गया लेकिन एक संतोष है कि विदेश में उनके पास 750 करोड़ रुपए का मोंटो कार्लो द्वीप, साउथ अफ्रीका में 12 हजार हैक्टेयर में फैला माबुला गेम लॉज, स्कॉटलैंड में महल, लंदन और मोंटो कार्लों में घर, मैनहेट्टन में प्रोपर्टी और न जाने क्या-क्या है… अलविदा माल्या साहब….
आपका ही एक बेचारा भारतवासी
डॉ० व्योमेश चित्रवंश, एडवोकेट
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