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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

मिल कर बने सूरज : व्योमेश चित्रवंश की कवितायें , 02जनवरी 2000

मिल कर बने सूरज

कुहॉसे और अंधियारे के बीच
दिखने लगी आशा की एक किरण
बादलो के घने लामबंद परतो को तोड़
चमकने को आतुर है अब सूरज
बार बार पीछे कर देते हैं उसे
काले डरावने सफेद भूरे बादल
लेकिन वह आयेगा, चमकेगा अवश्य
क्योंकि उस पर ही टिकी हैं
सारी दुनिया की आशायें
अंधकार से लड़कर प्रकाश
और अग्यानता को चीर कर ग्यान को
विस्तारित करने के उदाहरण
आओ हम सब मिल कर बने सूरज
फैलाये नव प्रकाश
क्योंकि मिल कर अंधेरे से लड़ने पर
सूरज को शक्ति मिलती है....

(०२ जनवरी,२०००)