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रविवार, 27 मार्च 2016

व्योमेश की कवितायें :कनु के लिये (मार्च २०००)

सॉझ ढले,
काम की थकान,
मन की उलझन,
तन की टूटन,
सब कुछ, ओस की बूँदो की तरह,
एक ही पल मे खतम हो जाती है
जब तु अपनी टिमटिम जैसी ऑखो से
निहारती हो मुझको
तुम्हारे किलकिते लाल लाल होठ गू गा करते है
और तुम्हारी दोनो नन्ही बॉहे उठती है
मुझको समेटने के लिये
सच कहूँ मेरी कनुप्रिया
मेरे लिये सबसे खूबसूरत लम्हे है ये
जिन्हे शब्दो मे नही बॉधा जा सकता
सिर्फ व सिर्फ महसूस किया जा सकता है,
तुममे खोजता हूूँ बार बार मै अपना अक्स
और फिर खो जाता हूँ
तुम्हारी नन्ही टिमटिम ऑखो में।

(कनु के बचपने के समय लिखी मन की भावनायें, संभवत: मार्च २००० में)