मंगलवार, 26 अगस्त 2025

मणिकर्णिका पर प्रतीक्षा..


बरसात में मणिकर्णिका पर प्रतीक्षा


ऊफनती गंगा का प्रचण्ड वेग
दूर दूर तक असीमित अपरिमित जलधार
सामनेघाट से राजघाट तक
गंगा की सूनी पड़ी गोंद
बिना नाव,बिना पक्षियों बिना पतंगों के
जैसे मां ने बरज दिया हो
खुद के पास आने से
उफनते मटमैले जल में
रत्नेश्वर महादेव मंदिर का कलस
दे रहा है साक्षी उसके होने का
बाकी सब तो गंगा के मटमैले पानी मे
खो गये है सीढीयां मढ़ी घाट और चबूतरे
मणिकर्णिका महाश्मसान डूबा है बाढ़ मे
साथ में विश्वनाथ धाम का जलासेन पथ
और गंगाद्वार भी
अंतिम संस्कार में जल रही
और कतार मे पड़ी  अहर्निश चितायें
मोक्ष को कामना में
श्मसानेश्वर महादेव से लगे ऊँचे छत पर एक दूसरे को धकियाती, देखती, इंतजार में अपनी बारी का,
यह प्रतीक्षा धरा पर कभी नही थी
न ही किसी ने प्रतीक्षा करना चाहा था
यहां आने का
पर आज वह निर्जीव,आत्माहीन शव भी व्याकुल है स्वयं की प्रतीक्षा पर,
उसे दिखती है औरो की व्याकुलता
जो सशरीर सआत्मा सजीव आये है
उसे अंतिम यात्रा पर पहुंचाने
पर व्याकुल है स्वयं की वापसी हेतु
अपने घरों को
गंगा की बाढ़ तो एक बहाना है
इस सच्चाई से मुंह मोड़ने का
कि अंत मे सबको यही आना है ..….

-व्योमेश,26अगस्त 2025

कोई टिप्पणी नहीं: