#अमर_बलिदानी
बाईस साल पहले हिमाचल प्रदेश के एक गाँव से एक पत्र रक्षा मंत्रालय के पास पहुँचा।
पत्र लिखने वाले एक स्कूल के शिक्षक थे। उन्होंने अनुरोध किया था कि यदि संभव हो तो क्या उन्हें और उनकी पत्नी को उस स्थान को देखने की अनुमति दी जा सकती है ? जहाँ कारगिल युद्ध में उनके इकलौते पुत्र की मृत्यु हुई थी ।
उनकी पहली मृत्यु की बरसी 07/07/2000 को थी! उनका कहना था कि यदि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध है तो उस स्थिति में वे अपना आवेदन वापस ले लेंगे।
पत्र पढ़ने वाले विभाग के अधिकारी ने सोचा कि उस शहीद के माता पिता के दौरे को प्रोयोजित करने में काफी रकम का खर्च आयेगा। पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके दौरे की कीमत क्या है!
पत्र पाने वाले उस अधिकारी ने सोचा कि अगर विभाग तैयार नहीं होता तो इस दौरे के खर्च को वह अपने वेतन से भुगतान कर देगा।
उसने एक आदेश जारी किया कि उस शिक्षक और उनकी पत्नी को उस स्थान पर ले जाया जाए जहाँ उनका इकलौता बेटा शहीद हुए था।
अतः उस दिवंगत नायक के स्मरण दिवस पर बुजुर्ग दंपत्ति को सम्मान के साथ रिज पर लाया गया।
जब उन्हें उस स्थान पर ले जाया गया जहाँ उनका पुत्र शहीद हुए था तो ड्यूटी पर मौजूद सभी लोगों ने खड़े होकर सलामी दी। लेकिन एक सिपाही ने उन्हें फूलों का गुच्छा दिया और झुककर उनके पैर छुए। दोनों माँ-बाप की आँखें पोंछीं और उन्हें प्रणाम किया।
शिक्षक ने कहा: आप एक वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप मेरे पैर क्यों छूते हो?
"ठीक है, सर!"
उस अधिकारी ने कहा!
"मैं यहाँ अकेला हूँ जो उस समय आपके बेटे के साथ था, जिसने आपके बेटे की वीरता को मैदान पर देखा था।
पाकिस्तानी अपने एच.एम.जी. से प्रति मिनट सैकड़ों गोलियां दाग रहे थे।
हम में से पाँच जवान तीस फीट की दूरी तक आगे बढ़े।
हम एक चट्टान के पीछे छिपे हुए थे।
मैंने कहा: " सर, मैं 'डेथ चार्ज' के लिए उनकी गोलियों के सामने जा रहा हूँ।मैं उनके बंकर में जाकर ग्रेनेड फेंकूँगा। उसके बाद आप सब उनके बंकर पर कब्जा कर सकते हैं।"
मैं उनके बंकर की ओर भागने ही वाला था, लेकिन.......
आपके बेटे ने कहा:
"क्या तुम पागल हो ?"
"तुम्हारी पत्नी और बच्चे हैं।"
"मैं अविवाहित हूँ,"
"मैं जाता हूँ।"
"आई विल डू द 'डेथ चार्ज' एंड यू डू द कवरिंग!"
बिना किसी हिचकिचाहट के उसने मुझसे ग्रेनेड छीन लिया और #डेथ_चार्ज के लिए भागे।
पाकिस्तान की ओर से
एच.एम.जी. की गोलियां बारिश हो रही थीं........
आपका बेटा उन्हें चकमा देते हुए गोलियों को अपनी छाती पर झेलते हुए पाकिस्तानी बंकर के पास पहुंचा, ग्रेनेड से पिन निकाला और उसे ठीक बंकर में फेंक दिया।
तेरह पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतार दिया गया।
उनका हमला समाप्त हो गया और क्षेत्र हमारे नियंत्रण में आ गया।
मैंने आपके बेटे का शव उठा लिया सर!
उसे बयालीस गोलियां लगी थीं।
मैंने उसका सिर अपने हाथों में लिया।
उसी वक्त पेट के बल उठकर उसने अपनी आखिरी साँस के साथ कहा; "जय हिंद!"
मैंने अपने सिनीयर से कहा कि वह आपके बेटे के ताबूत को आपके गाँव लाने की अनुमति दे! लेकिन उसने मना कर दिया।
मुझे इन फूलों को उनके चरणों में रखने का सौभाग्य कभी नहीं मिला!
लेकिन मुझे उन्हें आपके चरणों में रखने का सौभाग्य मिला रहा है, श्रीमान.....!
शिक्षक की पत्नी अपने पल्लू के कोने में धीरे से रो रही थी, लेकिन शिक्षक नहीं रोया.......।
उस शिक्षक ने जवान से कहा कि मैंने अपने बेटे के छुट्टी पर आने पर पहनने के लिए एक शर्ट खरीदी थी !
लेकिन वो कभी घर नहीं आया और कभी आएगा भी नहीं।
सो मैं वो शर्ट वहीं रखने को ले आया हूं जहाँ पर वो शहीद हुए था।
पर अब आप इसे क्यों नहीं पहन लेते बेटा......
कारगिल के इस नायक का नाम था #कैप्टन_विक्रम_बत्रा।
उनके शिक्षक पिता का नाम गिरधारी लाल बत्रा है
उनकी माता का नाम कमल कांता है।
मेरे प्यारे दोस्तों।, यही हमारे असली हीरो हैं...........
आज 07/07/2022 है ।
साभार
http://chitravansh.blogspot.com
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