व्योमवार्ता/ दिसंबर 2019 मे पढ़ी किताबें
#किताबें मेरी दोस्त : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 31 दिसंबर 2019
दिसंबर 2019 काफी सर्द और सूकून भरा रहा। मौसममापी यंत्रों ने बताया कि इस साल ठंड ने 118 सालों का रिकार्ड तोड़ा। बनारस में 30दिसंबर को 2.3डिग्री सेल्सियस था । कचहरी मे दोनो बार के चुनाव के चलते चलते फिर शीतकालीन अवकाश ने थोड़ी फुरसत दिया तो ठंड ने घर के बाहर वाली अन्य गतिविधियों से। लिहाजा मेरी दोस्त किताबों ने अधिकार सहित मेरे साथ खूब समय बिताया । अप्रैल से किताबों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की संकल्पयात्रा दिसंबर के पाव मे बेहद सूकूनभरी रही। इस महीने हमने कुल दस किताबें शरद असष्ठाना की "कन्हैया तूने यह क्या किया", डॉ० सुधा चौहान राज की " महोबा: आल्हा ऊदल की महागाथा, नीलोत्पल मृणाल की "औघड़", सुधा मूर्ति की " महाश्वेता ", जावेद अख्तर की कैलियोग्राफिक शैली मे लिखी गई "ख्वाब के गॉव में", दिव्य प्रकाश दूबे की मुसाफिर cafe", सीमा त्रेहन की "सरल ज्योतिषीय उपाय", डॉ० शैलेन्द्र कुमार मिश्र की " बड़ी परेशानी है भाई" के अतिरिक्त दो लुगदी उपन्यास रीमा भारती का "कंकाल बादशाह" व केशव पंडित का " कब आओगे किशन कन्हैया" पढ़ा।बहुत दिनो बाद एक महीने मे पढ़ी जाने वाली किताबों की संख्या दहाई तक पहुँची।
शुक्रिया मेरी दोस्त।उम्मीद है कि दोस्ती की यह संकल्प यात्रा सन 2020 मे भी जारी रहेगी।
#किताबें मेरी दोस्त
(बनारस,31 दिसंबर 2019, मंगलवार)
http://chitravansh.blogspot.com
अवढरदानी महादेव शंकर की राजधानी काशी मे पला बढ़ा और जीवन यापन कर रहा हूँ. कबीर का फक्कडपन और बनारस की मस्ती जीवन का हिस्सा है, पता नही उसके बिना मैं हूँ भी या नही. राजर्षि उदय प्रताप के बगीचे यू पी कालेज से निकल कर महामना के कर्मस्थली काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे खेलते कूदते कुछ डिग्रीयॉ पा गये, नौकरी के लिये रियाज किया पर नौकरी नही मयस्सर थी. बनारस छोड़ नही सकते थे तो अपनी मर्जी के मालिक वकील बन बैठे.
मंगलवार, 31 दिसंबर 2019
व्योमवार्ता/ दिसंबर 2019 मे पढ़ी किताबें #किताबें मेरी दोस्त : व्योमेश चित्रवंश की डायरी, 31 दिसंबर 2019
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