व्योमवार्ता /
सुना है तेरी महफिल में रतजगा है ........
• व्योमेश चित्रवंश
पिछले पखवाड़े योगी जी बनारस क्या आये कि बनारस की पूरी प्रशासनिक मशीनरी ही फास्ट हो गई क्योंकि पहली बार लखनऊ से खबर आई थी कि सूबे के सदर योगी जी रात को रुकेंगे ही नहीं बल्कि रात में शहर बनारस का जायजा लेंगे . अब अफसरान रात की सुहानी नींद और गर्म बिछौ़ने ,गर्म रजाई छोड़कर भाग भाग कर सड़कों ,साइटों और प्रोजेक्ट आफिसों में नजर आने लगे . रात के कोहरे में फाग लाइट जलाकर के सड़कें बनने लगी तो महीनों से वरुणा पर खड़ी धूल फॉक रहीं पोकलैंड व जेसीबी मशीनें भी गरजने लगी . अफसरों की पत्नियॉ इस मुये थण्ड को कोसने लगी कि जब सीएम का दौरा होने को होता है तभी जाड़े को पड़ना होता है . गर्म पानी की बोतल से लेकर टोपी मफलर जैकेट से लदे फदे अफसरान भीषण ठण्ड मे भी सीएम के आने की गर्मी से काम करते कराते रहे. दो तीन रातों में शहर चकाचक. योगी जी आए और मीटिंग के बाद निकल पड़े शहर का मुआयना करने . कहॉ अफसरान यह सोच कर निश्चिन्त थे कि कोहरे की वजह से शायद योगी जी का मौका मुआयना वाला कार्यक्रम टल जाए, पर योगी जी तो ठहरे पुराने हठयोगी, कुर्ता लूंगी के ऊपर एक केशरिया दुशाला रखें कंधे पर, और चल दिए शहर में हो रहे लंबित कार्यों को देखनेे, रैन बसेरा से लेकर बरईपुर पोखरा, नरोखर तालाब, मंडुआडीह आरओबी से लेकर दशाश्वमेध घाट तक. योगी जी का काफिला दौड़ता रहा ,अफसरान हलकान होते रहे . और ना चाहते हुए भी ना देखने लायक बहुत सी चीजों को योगी जी ने देख लिया और तलब कर लिया दूसरे दिन सबको सर्किट हाउस .थोड़ा पुचकाराा ,थोड़ा समझाया ,थोड़ा तंज कसा, जाते जाते यह भी बता गये कि 15 दिनों बाद फिर आएंगे और अब की बार कुछ गलत पाएंगे तो छोड़ेंगे नहीं.
योगी जी के जाते ही उनके स्वभाव को जानने वाले अफसरान एक्शन में आ गए नरोखर में बनने वाला जल वितरण व्यवस्था का पोखरा तेजी से बनने लगा तो वरुणा कारिडोर में भी टाइमलाइन के साथ गतिविधियां दिखने लगी. फिर एक बार वरुणा के नाम पर लीपापोती की कोशिश शुरू हो गई वरुणा पर कब्जा किए बड़े लोगों के कब्जे तो नहीं हटे पर वरुणा अपने पुराने मौके से जरूर हटने लगी जिसका सबसे बड़ा उदाहरण कचहरी के पास नए वरुणा पुल के दक्षिणी छोर पर साफ नजर आ रहा है. उधर आरटीओ चंदौली के तर्ज पर हालत कर देने की वार्मिंग के बाद ओवरलोड गाड़ियों की धरपकड़ शुरू हुई पर रात में नो एंट्री खत्म होने के बाद साइड रोड से बड़े-बड़े ओवरलोडेड ट्रकों को निकालने का खेल जारी है मंडुआडीह रेलवे ओवरब्रिज के संपर्क मार्ग की सफाई हो रही है तो पूरे शहर को अतिक्रमण मुक्त करने की कोशिशें लगातार जारी है . यह दूसरी बात है इन सब में कहीं साफ नीयत व दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी दिख रही है जो बनारस को सुधारने के लिए बेहद जरूरी है .
आज मोदी योगी की कुल प्रयासों के बावजूद शहर में कारगर व्यवस्था नहीं दिख रही है जिसके लिए इतनी कवायद की जा रही है .काम व जिम्मेदारियों को एक दूसरे पर फेंकने की अफसरों की कलाबाजी में कहीं न कहीं पूरा शहर हलकान परेशान हो रहा है .गैर जिम्मेदारी का आलम यह है कि बीते 11 जनवरी की रात गुरुधाम चौराहे के समीप भेलूपुर थाना पुलिस द्वारा एक बैंकेट हाल में अश्लील हरकत के आरोप में कुछ लोगों को पकड़ा गया घटना की FIR में दर्ज घटना सुबह के 4:30 बजे के काफी पहले ही मीडिया को घटनास्थल घटनाक्रम और घटना में शामिल आरोपों की संख्या की खबर प्रकाशित कर दी गई .अब साहब, बनारस के हाल ये हैं कि अखबारों में छपी खबर छपने के बाद यहॉ घटना हो रही है फिल्मी तौर पर न्यू देलही टाईम्स के माफिक. एस पी ट्रैफिक सुरेश चंद्र रावत दिन रात मेहनत कर शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने में लगे हुए हैं पर बनारस की ट्रैफिक है कि सुधरने का नाम नहीं लेती . सड़क पर फिजूल के कटों को बंद कराने के बाद सड़क के दोनों तरफ से बढ़ रहे दुकानदारों ने सरकारी सड़कों को अपना अधिकार क्षेत्र समझ पुनः अपनी दुकानें सजा लिया, समस्या ज्यों की त्यों .लहुराबीर क्वींस कॉलेज से लेकर लंका नई सड़क लगायत अर्दली बाजार, भोजूबीर ,पांडेपुर तक वही हालात कायम है .पुलकित खरे के वरुणा पर अतिक्रमण हटाओ तर्ज पर मंडुआडीह थाना प्रभारी आशुतोष तिवारी ने मांडवी तालाब को अतिक्रमण से मुक्त कराना शुरू किया तो उन्हें भी खरे की तरह वहां से हटाकर साइड लाइन कर दिया गया .दाल मंडी में अतिक्रमण हटाने के अभियान की जानकारी लेते हुए एसपी साहब को रिहाइसी भीड़भाड़ व अति संवेदनशील इलाके के नीचे काफी लंबा-चौड़ा बाजार मिला तो अब पूरा बनारस एसएसपी महोदय को इस बाजार के खुलासे के लिए सम्मानित करना चाहता है पर क्या किसी ने पूछा कि अगर विश्वनाथ मंदिर से मात्र सौ मीटर दूर यह भूमिगत बाजार रातों-रात नही बना तो फिर शहर की खुफिया तंत्र को संभालने वाली एलआईयू की क्या जिम्मेदारी है ? क्या एलआईयू बाजार को बनता हुआ देख कर बनारस में मेट्रो रेल के भूमिगत संचालन के स्टार्टअप प्रोग्राम की जॉच करना चाहती थी कि अगर दालमण्डी मे बीस फीट नीचे बाजार बन सकता है तो पूरे शहर मे मेट्रो रेल भूमिगत क्यों नही चलाई जा सकती.
बहरहाल बनारस में ये चीजें आम हो रही है आम होती जा रही है. आम शहरी के शांतिपूर्ण जीवन व व्यवस्था से बेजार यहॉ के अफसरान अपना पीठ ठोकने के लिए कुछ भी नया प्रयोग कर सकते हैं . नगर निगम ,विकास प्राधिकरण ही नहीं पुलिस विभाग भी अब इस दौड़ में पीछे नहीं है सुना है योगी जी फिर शहर में आकर रात में चौपाल लगाने वाले हैं. जब तक वे आएंगे पूरे शहर की अंधेरी व्यवस्था को चाक चौबंद रोशनी में तब्दील कर लिया जाएगा भले ही वो रोशनी थोड़ी देर के लिए ही हो , क्योंकि वीवीआईपी के आने पर इस शहर में अंधेरे में भी रोशनी का रतजगा हो जाता है .
सुना है शहर का नक्शा बदल गया है महफूज,
तो चल के हम भी जरा अपने घर को देखते हैं .
- व्योमेश चित्रवंश,
http://chitravansh.blogspot.com. मो0- 9450960851
अवढरदानी महादेव शंकर की राजधानी काशी मे पला बढ़ा और जीवन यापन कर रहा हूँ. कबीर का फक्कडपन और बनारस की मस्ती जीवन का हिस्सा है, पता नही उसके बिना मैं हूँ भी या नही. राजर्षि उदय प्रताप के बगीचे यू पी कालेज से निकल कर महामना के कर्मस्थली काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे खेलते कूदते कुछ डिग्रीयॉ पा गये, नौकरी के लिये रियाज किया पर नौकरी नही मयस्सर थी. बनारस छोड़ नही सकते थे तो अपनी मर्जी के मालिक वकील बन बैठे.
गुरुवार, 18 जनवरी 2018
व्योमवार्ता /सुना है तेरी महफिल मे रतजगा है.....
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