रविवार, 16 अक्तूबर 2016

कानून बनाम कानून : व्योमेश चित्रवंश की डायरी 12अक्टूबर 2016 बुधवार

गालिबपुरा में कल "नसीम पंचर वाले" ने दारू पी कर अपनी "साली" को बुरी नज़र से दबोच लिया, लौडिया जोर से चिल्लाई, चीख पुकार सुनकर नसीम की बीबी "फरजाना" दौड़ी-दौड़ी वहाँ पहुँची और नसीम की गिरफ्त से अपनी बहन को छुड़ाया।
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नसीम ने पहले तो "फरजाना" को ख़ूब लतियाया और साली को अपने पास छोड़कर फरजाना को वहाँ से चले जाने को कहा । लेकिन तब तक अड़ोसियों-पड़ोसियों के आ जाने से मामला बिगड़ गया। तो अपने मकसद में नाकाम नसीम ने "फरजाना" को बोला : "तलाक तलाक तलाक" !
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मुहल्ला गालिबपुरा की मस्जिद तक बात पहुँची.. सबने नसीम को लानत मलानत दी, लेकिन चाचा अजमेरी ने कहा कि - "शरीया कानून" के हिसाब से फरजाना का तलाक हो गया है..
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वहाँ खड़े एक लड़के ने कहा कि :- अगर "शरिया कानून" से नसीम का दिया तलाक सही है तो फिर "शरिया कानून" के तहत नसीम के दोनो हाथ और लिंग भी काटा जाए क्योंकि इसने एक नाबालिग लड़की का बलात्कार किया है। "शरिया कानून" के तहत बलात्कारी की यहीं सजा होती है ।
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पूरी भीड़ में सन्नाटा छा गया ! सब चुप !! तभी चचा अजमेरी ने उस लड़के को घुड़काते हुए कहा :- "ये हिन्दुस्तान है यहाँ "शरिया कानून" की हुकूमत नहीं चलती, यहाँ "भारतीय कानून" का शासन है, "संविधान" नाम की भी कोई चीज होती है मियाँ, बड़े आये "शरीयत-शरीयत" करने।

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