बीत गया जीवन का एक और साल
आज कल की आपाधापी में ।
सोचा था बैठेगें कभी साथ साथ
बातें करेगे एक दूसरे से ढेरों
बॉटेगे सारे खट्टे मीठे अतीत
जो हम ने संग संग जिये थे।
सोच साकार नही हो सकी
समयऔर काम काज के बंधन मे
पर हमे मालूम है कि
बेमानी है , ये भौतिक दूरियॉ ।
मिलते है फिर नये साल में
आशा व संकल्प की थाती लेकर
हमें विश्वास है कि हम साथ है
हर पल मन मानस मे एक दूसरे के
और हमारी बेशकीमती पूँजी है
हमारी पवित्र शुभकामनायें ।
- व्योमेश चित्रवंश
आज कल की आपाधापी में ।
सोचा था बैठेगें कभी साथ साथ
बातें करेगे एक दूसरे से ढेरों
बॉटेगे सारे खट्टे मीठे अतीत
जो हम ने संग संग जिये थे।
सोच साकार नही हो सकी
समयऔर काम काज के बंधन मे
पर हमे मालूम है कि
बेमानी है , ये भौतिक दूरियॉ ।
मिलते है फिर नये साल में
आशा व संकल्प की थाती लेकर
हमें विश्वास है कि हम साथ है
हर पल मन मानस मे एक दूसरे के
और हमारी बेशकीमती पूँजी है
हमारी पवित्र शुभकामनायें ।
- व्योमेश चित्रवंश
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