शनिवार, 5 मार्च 2016

शत्रुघ्न सिन्हा ने कन्हैया की तारीफ किया - व्योमेश चित्रवंश

ऐ सिनहा जी,
मन्तरी नही बने तो का देसदरोही बन जाईयेगा का?
बड़े दिनो से आपकी छटपटाहट तजबीज रहे हैं । सुना था कि आपकौ तो टिकसै नही मिलने वाला था वो तो सुकर मनाईये बनारस व यूपी के कायथ नेताओ का, ओनके प्रेसर मे आपको आपकी पाटी ने टिकस दे दिया। पर जीतने के बाद आप तो हरामखोरई पर ऊतर गये जी।
कहीं ऐसा होता है जी? अब आप हर उस बात का विरोध कर रहे है जो सिधे तौर पे कही जाती है। अगर आपकी पाटी कहेगी उत्तर तो आप बोलियेगा दक्खिन। वाह बिहारी बाबू, मतलब ई हो गया कि आप अपोजिसन के तरह खाली विरोध के लिये विरोध।
आप तो ऐइसे नही थे हो सिनहा जी। एही फेसबुक पर पढ़े थे कही दूई चार रोज पहिले, कि मोदी कहेगें कि निपटने के बाद हाथ सबुनिया लेना चहिये तो अपोजिसन बोलेगा कि नाही जी हम तो चाटेगें। अब आपो वही लोगन मे शामिल होय गये हैं। आप कन्हैया को सपोर्ट करे या कंस को , हम आम हिन्दुस्तानी पर कौनो असर नाही पड़ने वाला है। पर तकलीफ होती है कि आप जैसे पूर्व केन्द्रिय कैबिनेट मन्तरी को कभ्भो देश पर मरने वाले सैनिको पर तकलीफ नही हुई? आप को लखनऊ मे मरने वाले उस शोध छात्र के आत्महत्या पर नही तकलीफ हुई जिससे देश के विज्यान को ढेरो आशाये थी। आप नक्सली हमले मे मरने वाले उस नौजवान सैनिक के मृत्यु पर बोलना गवारा नही किये जिसकी शादी को महज ४ महीने बीते थे। फिलमो मे डायलाग मारते मारते आप भूल गये है शायद कि हर जगह मुँह नही बाना चहिये। कउन सा आप मे सुरखाब के पर लग गये है  कि आप को मन्तरी बनाया ही जाना चहिये।
देखिये सिनहा जी, आप अपनी ईज्जत अपने से धोय रहै हो। आप अपने लालच ओर चाह से बाहर निकल कर देस के बारे मे भी सोचिये। भाजपा को पीछे छोड़ने के चक्कर मे तो आप केतना पीछे चले गये इसका अन्दाजा आप से जियादा किसको होगा? बिहार चुनाव मे आपकी पारटी भाजपा ने तो आपको नही ही पूछा आप को आप वालो ने भी लालीपाप दिखा दिया अउर आपके वो नितिश भी आपको घास नही डाले।
हमे तो लगता है कि कहीं कन्हैया की आजादी का समर्थन करते हुये आपकी पारटी आपको ही न आजाद कर दे। क्योकि वह कब तक फालतू बोझा बने आपको ढोती रहेगी?
अउर सिनहा जी, तब तो बहुतै न बुरा होय जायेगा आपके साथ? क्योकि अब तो फिलमी लाईन मे आपको कोई पूछने वाला नही।
चेत जाईये न सिनहा जी।

गुरुवार, 3 मार्च 2016

नव वर्ष २०१६ के अभिनन्दन पर लिखा गया शुभकामना संदेश

बीत गया जीवन का एक और साल
आज कल की आपाधापी में ।
सोचा था बैठेगें कभी साथ साथ
बातें करेगे एक दूसरे से ढेरों
बॉटेगे सारे खट्टे मीठे अतीत
जो हम ने संग संग जिये थे।
सोच साकार नही हो सकी
समयऔर काम काज के बंधन मे
पर हमे मालूम है कि
बेमानी है , ये भौतिक दूरियॉ ।
मिलते है फिर नये साल में
आशा व संकल्प की थाती लेकर
हमें विश्वास है कि हम साथ है
हर पल मन मानस मे एक दूसरे के
और हमारी बेशकीमती पूँजी है
हमारी पवित्र शुभकामनायें ।
              - व्योमेश चित्रवंश

हॉ मै दक्षिणपंथी हूँ........ ( देशद्रोहियो को विपक्षी दलो के समर्थन पर ) व्योमेश चित्रवंश ०३/०३/२०१६

हॉ मै दक्षिणपंथी हूँ।

-क्योंकि मै अपने महत्वपूर्ण काम दाहिने हाथ से करता हूँ।
-क्योंकि मै अपने देश को बहुत प्यार करता हूँ।
-क्योंकि मै अपने देश का अपमान नही सह सकता।
- क्योंकि मै सिर्फ इसलिये किसी विचार या पक्ष की बुराई नही करता कि वह किसी एक पार्टी या दल विशेष का विचार है।
-क्योंकि मै अपने इतिहास बोध के प्रति सजग व प्रामाणिकता पर विश्वास करता हूँ।
-क्योंकि मैने अपने इस प्राचीनतम विश्वगुरू रहे भारतवर्ष के इतिहास को पश्चिमी चश्मे से देखने से इंकार करता हूँ।
-क्योंकि मैे अपने देश की बहुधर्मी बहुजातिय बहुसंस्कृति मे आस्था रखते हुये अतिविनम्रता के साथ उन ढेरो गपोड़ी, व विदेशी चाटुकारों व उनके चरणचुंबन करने वाले तथाकथित इतिहासकारो का अनुसरण अस्वीकार करता हूँ।
-क्योंकि मुझे अपने देश के संविधान, देश के संस्कृति, देश के लोगो से कोई शिकायत नही है।
-क्योंकि मुझे अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश के खिलाफ नारेबाजी नही पसंद है।
-क्योंकि मुझे अपने देश के न्यायव्यवस्था मे भरोसा है और मै उसके निर्णय का सम्मान करता हूँ।
- क्योंकि जब मेरे देश के खिलाड़ी जब दुनिया मे कही खेलते है तो मै उनके जीत के लिये दुआ करता हूँ।
क्योंकि जब मै अपने तिरंगे को कही लहराते हुये देखता हूँ तो खुद को गौरवान्वित व उर्जावान महसूस करता हूँ।
-क्योंकि जब कोई हरामजादा मेरे देश को गाली देता है तो मेरा मन उसका खून कर देने को करता है।
-क्योंकि मुझे अपने देश के खिलाफ एक भी शब्द सुनना अात्महत्या लगता है।
-क्योंकि मै अपने राष्टगीत राष्ट्रगान राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान बिना यह विचार किये करता हूँ कि वह किसी मजहब, किसी वर्ग किसी जाति से सम्बन्धित है बल्कि मेरे लिये वह सिर्फ व सिर्फ मेरे देश के है।
-क्योंकि मै ऐसे किसी भी मानवाधिकार, विधिक अधिकार या विशेषाधिकार को नही मानता जो मेरे देश के अभिमान, एकता, अखण्डता, सम्मान, सुरक्षा व संप्रुभता के आड़े आते है।
-क्योंकि मुझे नफरत है ऐसे लोगो से जो मेरे देश की माटी मे पल मेरे देश का अन्न खा कर विदेशी मीडिया व विदेशी भीखों के लिये मेरे देश की बुराई करते है।

     और अगर इन कारणो से मुझे आप दक्षिणपंथी मानते हो तो हमे खुद को दक्षिणपंथी कहने मे गर्व है ।