मंगलवार, 22 मार्च 2016

व्योमेश चित्रवंश की डायरी : होली पर सुकून की तलाश 22मार्च2016, मंगलवार

22 मार्च 2016 ,मंगलवार

आज से होली की छुट्टी शुरू हुई. फगुआ को लेकर गजब का कन्फ्यूजन है, होलिका दहन कल  यानि बुधवार की भोर मे होना है , उदया तिथि मे प्रतिपदा न होने के कारण पूरे देश मे फाग गुरूवार को मनाया जायेगा, पर बनारस मे रंगभरी एकादसी से बुढ़वा मंगल तक सूखे रंग से होली मनाने की परंपरा रही है. यहॉ पानी व बनारसी मस्ती से सरोबार फगुआ का हुड़दंग व मस्ती होलिका जलने से शुरू हो कर  अगले दिन मध्य दोपहर १२ बजे तक होती है, इसलिये बनारस  मे फगुआ कल ही मनाया जाना है, वैसे मस्ती व हुड़दंग तो शुरू हो चुकी है, नगाड़े व ढोल बजा के कबीरा सरररा व किसिम तिसिम के मुखौटे व शकल बनाये मस्ताने जगह जगह झुण्ड बना के होली का चंदा वसूल रहे है़ होलिका माई की मुर्तियॉ होली पर बैठाने के साथ ही डीजे व सॉउंड बाक्स मे होली गीत बजने लगे है़ ये कल सुबह होलिका दहन तक बजते रहेगे, साथ ही इन पर कमर हिलाऊ नाच भी रात भर गुलजार रहेगा.
       होली का सरूर देखने हम भी दोपहर मे निकले , सड़के तो गुलजार थी पर दुकाने नही, बढ़ती मंहगॉई के चलते हर आदमी त्योहारो का आभासी व दर्शनीययआनंद लेने को इच्छुक है. निम्न वर्ग व उच्च वर्ग बस इन्ही दोनो के ल्ये होली का वास्तविक आनंद रह गया है. बीच वाले तो परंपरा ढो रहे है, नये कपड़ो व नये सामानो की दुकानदारी भी बाजार को कोई गति नही दे पा रही है  क्योकि मेगा मार्ट संस्कृति दुकानदारी को लीलती जा रही है. वरूणापार के सबसे बड़े व व्यस्त अर्दलीबाजार व भोजूबीर मे बिग बाजार वियाल स्पेंसर जालान जैसे नामी साहूकारो के चलते मैहल्ला फुटपाथ का बनिया  बेकार हो रहा है, इन के आगे जहॉ सड़क पर जाम लगा हुआ है वही बाकी दुकानदारो के यगॉ झॉकनेवाले भी गिनती के रह गये है.
हॉ आज खोये व दारू शराब के दुकानो पर जबर्दस्त भीड़ दिखी़ शायद दारू व शराब के पहलू मे ही आम बहुतायत को सुकून की तलास हो.

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