नये साल की पहली सुबह/व्योमेश चित्रवंश की डायरी..
नये साल की पहली सुबह
ढेर सारे कुंहासे और धुंध से भरी
नही दिख रहे कोहरे से
सड़क पर चहलकदमी करते लोग
वे बच्चे भी नही
नये साल पर खुशियाँ मनाने वाले
आटो वाला टोपी पर मफलर बांधे
मुंह से धूंआ फेकते
कर रहा है सवारियों का इंतजार
धुले धुलाये आटो पर तिरंगा झण्डा संग
गैस वाला गुब्बारा लगाये
चूने से लिख कर
हैप्पी न्यू ईयर 2023
चौराहे के एक कोने पर
उजाड़ होते चितवन के नीचे
जल रहे लकड़ी के बोटे के पास
खड़े बीट के सिपाहियों के संग
सिमटे सुकड़े बैठे है
काले भूरे कलुआ औ भूरा
उन्हे इंतजार है नुक्कड़ की दुकान पर
जलेबी कचौड़ी छनने और
उसके फेंके हुये दोनो का
अखबार का बंडल बांधे
निकल चुके है हाकर
मंदिर की सेवा करने वाले पंडितजी भी.
दोनो को जल्दी है खबरे पहुंचाने की
नेकी की दीवार के पास
सोया पड़ा है मन्तोषवा
फिर कहीं से दारू पी कर
सब कुछ वैसे ही है
जैसे कल था
न कोरोना का खौफ
न कोई हड़बड़ी
घरों मे रजाई मे दुबके
रविवार मना रहे लोगों को
अब नही इंतजार है किसी
बिग ब्रेकिंग का
सब कुछ सामान्य सा
हर कोई आराम से
चल रहा है
साल बदल रहा है
हम नही......
- #व्योमेश_चित्रवंश
(काशी,1जनवरी 2022, पौष शुक्ल दशमी सं०2079वि०)
#व्योमवार्ता