बीएचयू ट्रौमा सेण्टर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 सितंबर 2015 को किया था यह वही समय था जब मोदी जी का स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत जोर शोर से हो चुकी थी। देश मे स्वच्छ भारत का असर दिखने भी लगा है पर मोदी जी द्वारा उद्घाटित ट्रौमा सेण्टर की सफाई व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है। ज्यादातर वाटर वेसिन गंदगी से पटे और जाम पड़े हैं। ज्यादातर लैट्रीन के कमोड्स व सीट बदरंग व गंदे है। वाटर कूलर पर धूल व गंदगी का अंबार लगा है।कुछ सर्विस मास्टर क्लीनर की वर्दी वाले सफाईकर्मी साफसफाई करते नजर आते रहते है पर उनके कामो की देख रेख करने वाला कोई नही। स्थिति यह है कि चौथे मंजिल पर आर्थोपेडिक वार्ड में वेसिन की टोटियॉ रस्सी से बॉधी गई है और बाथरूम की हालत यह है कि आप उसका प्रयोग करना तो दूर वहॉ खड़े तक नही हो सकते। हमने इस संबन्ध मे जब आन ड्यूटी नर्सेज से बात किया तो उनका सीधा जबाब था कि यह देखना उनकी ड्यूटी मे नही हैं। मौजूदा डाक्टर्स तो ज्यादातर प्रथम वर्ष के रेजिडेण्ट है जो स्वयं अपने सीनियर्स के व्यवहार व थोपे गये कार्यो से त्रस्त है वे बेचारे इस संबन्ध मे क्या बता पायेगें।
हमने इस संबन्ध मे ट्रौमा सेण्टर के विशेष कार्याधिकारी व उप चिकित्सा अधीक्षक से मिल कर शिकायत करने की कोशिश की पर वे दोनो अधिकारी हमे अपने कमरे मे नही मिले।
पूर्वी उत्तर प्रदेश व पश्चिमी बिहार के साथ साथ छत्तीसगढ व झारखण्ड के लिये एम्स जैसा एकमात्र जीवनदायी माने जाने वाले बीएचयू के अत्याधुनिक ट्रौमासेण्टर की बदहाली को बढ़ाने मे कुछ निहित शक्तियॉ अपने स्वार्थवश बदनाम व ध्वस्त करने मे लगी है क्या उनके मायाजाल से आमजन के बनाये ट्रौमासेण्टर मुक्त हो सकेगा?
अवढरदानी महादेव शंकर की राजधानी काशी मे पला बढ़ा और जीवन यापन कर रहा हूँ. कबीर का फक्कडपन और बनारस की मस्ती जीवन का हिस्सा है, पता नही उसके बिना मैं हूँ भी या नही. राजर्षि उदय प्रताप के बगीचे यू पी कालेज से निकल कर महामना के कर्मस्थली काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे खेलते कूदते कुछ डिग्रीयॉ पा गये, नौकरी के लिये रियाज किया पर नौकरी नही मयस्सर थी. बनारस छोड़ नही सकते थे तो अपनी मर्जी के मालिक वकील बन बैठे.
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